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ज्योतिप-गणितादि
[ १०७
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क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
कर्ता
लिपि- पत्र भापा
| समय | संख्या -
विशेष
२०२८
___३५० १७७६ बृहज्जातक विवृतिसहितमू० वराहमिहिर रा० १८वीं श ___७ टीका रचना काल उत्तरार्ध वि उत्पलभट्ट
शाके 44 २६०० वृहज्जातक सटीक मू० वराह रा० | १८५८ ६४ सवाई जयपुर मे त्रिपाठ टो० महीदास
लिखित । शाके १५२० मे टीका रचना । पत्र
११ से १४ अप्राप्त । ३५२ ३०७३ | बृहत्सहिता वृद्धवसिष्ठ स० | १८५८ १२१ | जगन्मोहन नामक
तृतीयस्कंध मात्र ३५३ | ३३७५ बृहत्संहिता वराह ___" १६३५/ १५१ वृहत्सहिता सटीक मू. वराह
१६वीं श ४४ | अपूर्ण। पत्र १ से टी० उत्पलभट्ट
२ अप्राप्त ३५५ २६२६ बृहत्सहिता मू० बराह
" " ४३६ अपूर्ण । पत्र १ से टी० उत्पलभट्ट
१०३ तथा ३६० से
| ३८७ तक अप्राप्त । ३५६ / २५१८ | ब्रह्मतुल्य टीका
" | १७१५ | ३३ जावालपुर मे लिखित । ब्रह्मतुल्य सारणी
१वीं श ३७४० भडली दूहा | भडली पुराण
१-३३ गुटका (5) १८७७ | भडली पुराण
१६वीं श ६ अपूर्ण। ३७५७ भडली विचार ५६८ भडली वाक्य दूहा भडली राहि. १८वीं श भवानीजीवायक
राहि. १८६३ जमानारा दूहा ३६४ / २२०६ भवानीवायक
१८७७ ___३ लाडुली झमुनगर
मे लिखित, १००
पद्यमय रचना है। ३२२५ भावाध्याय
देवेन्द्र कवि स०
१८६२ ६२७ भुवनदीपक
पद्मप्रभ | १८१८ | भुवनदीपक
पद्मप्रभ
| १८०० |६-१२ शुद्धदंती में लिखित । (२) १८५७ भुवनदीपक पद्मनाभ
१८वीं श १३ ३६६ ३०१० भुवनदीपक
१६६१ १७ लघुकडि मे लिखित । ३७६५ भुवनदीपक पद्मप्रभ
१८०७६ देलवाडानगर में
लिखित
३५६४
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४
२५३३
३६६
१७६६
१७
३६८