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क्रमांक प्रन्याक
प्रन्थनाम
४४५ | ३२४३ वेतालपच्चीसी
४४६ | २८३० | वेतालपच्चीसी गद्य वेतालपच्चीसी गद्य
४४७ ३५५४
४४४ २३६० वेतालपच्चीसी कथा देईदान - नाइता रा०
(६)
४४६ || ३६०३ | वैदर्भी चौपाई ४५० ३६६५ | वैदर्भी चौपाई ४५१ १८८६ व्रजशृंगार
(5)
४५२ ३५१० | शकु तला रास
(3)
४५३ | १००२ | शत्रु जयउद्धाररास
४५४ | १८३६ शत्रु जयउद्धाररास (३)
४५५ | २२२६ | शत्रु जयउद्धाररास
४५६
३५५४ | शत्रु जयउद्धाररास (३)
४५७
३६५३ | शत्रु जयउद्धाररास ४५८ | ३५३६ | शांतिनाथ चौपाई
कर्चा
रास -
39
समयसुन्दर
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"9.
नयसुन्दर'"
93
भाषा
ज्ञानसागर
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23
(ह)
४४८ | ३५७३ | वेतालपच्चीसी चौपाई हेमाणंद हीर
(१)
कलश शिष्य
प्रेमराज
रा०गू० १८वीं श
१८५६
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सवाई प्रताप हि० १६वीं श. २६-३३ रचना स० १८५१ । सिहजी धर्मसमुद्र
रा०गू० १८वीं श
१-३
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39
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35
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लिपि - पत्र
समय
१८५४
१६वीं श
१८५०
१८४६ २६-५४ बीकानेर नरेश
संख्या
१८३६
१८वीं श.
१३ १-१३
१६६५ १८वीं श.
१६ बीकानेर नृप अनूपसिंहजी के कुतू
हलार्थ रचित | भार
ग्राम में लिखित ।
१८१२ १-१७ सं. १६४६ में रचित । ओवरीग्राम में लिखित | जीर्णप्रति ।
७
2
विशेष
८
२२३ ]
अनूपसिह के विनोदार्थ रचित | बीदासर में लिखित |
१८२६ १०- १६ नागोर में सम्वत्
१६८२ में रचना । गुटका 1
२३ | प्रस्तुत कृति के बाद लेखक ने स्तवन
६
गुटका । पूर्ण ।
बगडी में लिखित ।
पदादि लिखे हैं ।
१६वीं श| ६०-६२ संवत् १६४८ मे
रचित ।
५०
सं. १६८६ में नागोर में रचना | राधापुर में लिखित T
सं. १७२० में पाटण में रचित ।
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