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जैनागम - -
। १८१
कमांक ग्रन्थाङ्क
- ग्रन्थनाम
। कर्ता
| भापा
लिपि
पत्रसमय सख्या
विशेष
___३६ १५६६ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति सटीक टी-शांतिचंद्र पाटी सं. १६६४ ३२०
त्रिपाठ
पदार्थरत्न मंजूषा नामक टीका । उ० श्री नयविजयजी ने लिखाई।
३७ २००४ ज्ञानाधर्मकथांग ३८ | १५६३ ज्ञाताधर्मकथांग ३६ | १५८८ | ज्ञाताधर्मकथांग मूल
प्रा. १७वीं श १२१ , १६४४ | १४६ , १६३५ | ११४
| प्रथम पत्र नहीं है। जंगत्तारणि में पातिसाह अकंबर राज्य मे लिखित ।
४० | १६०२ | ज्योतिष्करएडक
टीमलयगिरि मूलप्रा० १८वीं श. १५६
सटीक
२१३३
२२१२
तंदुल नगारिकप्रकीएक | वा. पासचंद प्रा.रामू. १९७६ सवालावबोध दशवकालिक घाला. मू:शय्यंभव " | १६६२ वबोध महित त्रिपाठवा-लक्ष्मणमुनि दरावकालिक सटिप्पण मूळ शय्यभव प्रा.टी.स १७१६
| भुजनगर में लखित ।
| सं० १६६१ में
सभतीर्थपुर में लिखित ।
१६:दशवकालिक सटीक | मू-शययंभव , १७वीं श ५७
टी समय
सुन्दर १५६७ दशकालिक सात्र- मू० शय्यंभव प्रासं० १७१८ | २३
चूर्णि पाठ दशवैकालिका रचूरि पीस्तालीस श्रागमनाम
प्रा० १७वीं श६० वां
जाउरनगरे लिखी।
प्रदेशीराजालापक
प्रश्नव्याकरण बाला वबोध सहित प्रश्नव्याकरण सस्तबक
, १७वीं श| १६४ वां बारा गू. १६३० | १०३ राःगू १८वीं श ८८
, १८वीं श. ७.
पांच अध्ययन पर्यन्त । अध्ययन ६ से पूर्ण । पत्र ६२वां अप्राप्त।.
प्रश्नव्याकरण सस्तवक