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१७३ ' ]
क्रमांक प्रन्याक
१३४
१७३ | शांर्गधरसंहिता उत्तर
खण्ड
१३५ | ३८१५ | शांर्गघर संहिता सटीक त्रिपाठ
१३६ | २४१३ शालिहोत्र १३७ | ३५४६ | शालिहोत्र
शालिहोत्र
(४)
१३ = | ३५५०
मन्थनाम
१४०
(६)
१३६ ३४५६ शालिहोत्र ( श्रश्वचिकित्सा )
१४१
१४२
राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर
७३१ | सन्निपातकलिका
२४०८ | सन्निपातकलिका सटिप्पण
१४३
३६९ | सन्निपात चिकित्सा १४४ २१ सन्निपात चिकित्सा सार्थ
१४५ | २३८४ संहिता
१४६ | ३४६४ | सार संग्रह
१४७ | ३४६३ | हितोपदेश
६४८
नकुल
२४१४ | शालिहोत्र अर्थ सहित मू० नकुल
७२४ | हिंमतप्रकाश चोपाई
१४६ | ३=२६ हृदयदीपक निघण्टु
कर्त्ता
शांर्गधर
दामोदर
शांघर
दामोदरसूनु
श्रीकठ
श्रीपतिभट्ट
चोपदेव
भाषा
संस्कृत १६११
19
राज०
""
"
राज.
सं०
लिपि -
समय
मू० सं०
अ: राः
स०
""
२६वीं श
,
सं० १७वीं श
99
गूः सं० | १८१७ अर्थ राज.
सं० १७वीं श
मू.सं. टि. १६३६
१=१५
८
१६वीं श ४०-४५
•
19
१६वीं श.
१८वीं श
"
पत्र
संख्या
६६
"
|संस्कृत १०७१
८४
४१-५०
1
१६
१६वीं श.
५५
| १७त्रीं श| १०६
२२
८
१०
३२
बहि० १८३४ ४२
२४
विशेष
अश्व चिकित्सा |
POS
अपूर्ण ।
सूरतिविन्दर में लिखित |
मध्यखंड पर्यन्त | पत्र ६१ वां नहीं
है ।
पत्र १८, १६, २० अप्राप्त । माधवनिदान की भाप मे चोपाई ।
नवा हिमतखान
की आज्ञा से गुजराती औदीच्य ज्ञात य श्रीपति ने संवत् १७३० मे रची