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ज्योतिषगणितादि
[ १४३
लिपि-
क्रमाक
ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
कर्ता
| भाषा
पत्रसख्या
विशेष
नरपति
सस्कृत
१८वी श. ४६ १६वीं श. ३
पद्य रचना है।
-३८०० नरपतिजयचर्या १७६० नवग्रहचक्र गजचक्र
अश्वचक्र रथचक्र नवग्रहद्वादशभावहफिल नवग्रहभावफल
२५३०
१८४७
४
| १८०७ १से४६
गुटका
६६८
२६५
५८७
44
"
४०८ नष्टजन्म तथा मृत्युन्नान
। , १६वीं श २ १९८७ नएजन्मविचार
रागु नष्टजातक
स रागु. १६वीं श ७८६ नष्टजातक
संस्कृत १८वीं श. नष्टज्ञान नारचन्द्र
नरचन्द्राचार्य , १६वीं श २६६ / ६०५ नारचन्द्र २६७ १६८० नारचन्द्रज्योतिष
१७वीं २६८ ६७५ नारचन्द्र प्रथमपरि- सागरचन्द्र
१८वीं श च्छेदटिप्पण १६६७ नारचन्द्रज्योतिष टिप्पण
१६६३ नारचन्द्रटिप्पण
१७५४ नारचन्द्रटिप्पण
| १६६४ ३४३८ नारचन्द्रटिप्पण
१७वीं श प्रथम पत्र अप्राप्त ३७३७ नारचन्द्र प्रथम प्रकरण
१६वीं श ३७७० नारचन्द्रटिप्पण सागरचन्द्र
१८०६ नारचन्द्र सस्तवक नरचन्द्र सस्त०]
रागु० ३७२८ | नारचन्द्र सस्तवक
सस्त०१८वीं श ३२ प्रथम प्रकरण
रागु० नारचन्द्र प्रथम प्रकरण
संस्त०१७ सस्तबक नारचन्द्र प्रथम प्रकरण
सं०स्त० १७६२
३१ | सिरोही में लिखित सस्तवक
रागु
६०
१७२४
३७६३
रागु०
३७६६
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