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राजस्थान पुरातत्त्वान्वेपण मन्दिर
प्रन्थनाम
कर्ता
लिपि- पत्रसमय सख्या
विशेष
३५७५ चौबीसी स्तवन
देवचन्द्रजी रागू० २०वीं श. १-२४
जिनराजसूरि
,
३५७५ | चोबीशी स्तवन
(३३) १२५ १८३६ | चौवीसदंडकस्तवन
(११)
धर्मविजय
,
,,,| १४२
१५४ १८वीं श. ४-५२/ सं० १७२६ में जैस
लमेर में रचना।
गुटका। १७वीं श. १७४
हीरकलश
,
१७५
२८६३ | छिन्नवइजिननमस्कार (११६) २८६३ छिन्नवइजिनस्तवन ११२२ जगडूनो छंद
लीलो
| राज० १६वीं श २ रा
११०२
जगडूसाहनो जस
रा०गू० | , , १० वां (१८) २३५४ | जबानसिहको कवित्त | खुसराम वहि० २०वीं श. जसवंतसिंहजी महा
७ वां राजरा कवित्त जसवंतसिंह तथा अजी
, १८वीं श. १ तसिंहजी के कवित्त ३४७४ जालोरपार्श्वविविध | पुण्यनन्दिरा गू० १७वीं श. ५
ढाल स्तवन ११२२ | जांमलाखारीनीसाणी
रा० १६वीं श ६२-६३
| २८६३
रा०गू० | १६२१ १६५से | रूसणा ग्राम में ।
१६७ रचित । " १७वीं श. १७७वां
| जिनकल्याणकस्तवन | हीरकलश (१३३) २८६३ जिनचद्रसूरिगीत (१२३) | २८६३ | जिनचद्रसूरिगीत (१२४) २८६३ | जिनचंद्रसूरिगीतनवक (१२५)
जिनचंद्रसूरिस्तुति (६४)
| १८२से
"
"
"
१८६ १५६से १८५स
१८६ १६०वां द्वादश दल कमल
बंध में एक काव्य
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