Book Title: Vyakaran Siddhant Param Laghu Manjusha
Author(s): Nagesh Bhatt, Kapildev Shastri
Publisher: Kurukshetra Vishvavidyalay Prakashan
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विषय-सूची
प्राक्कथन
पृष्ठ
दो शब्द
संकेताक्षर भूमिका
१-३ ४-५ १-३६
(१) संस्कृत व्याकरण दर्शन : स्वरूप, प्रतिपाद्य एवं परम्परा
'दर्शन' शब्द का मौलिक अभिप्राय, संस्कृत व्याकरण शास्त्र अथवा शब्द दर्शन; एक ही 'शब्द' तत्त्व की प्रमुख पाँच रूपों में स्थिति; 'शब्दब्रह्म' के स्वरूप-ज्ञान से मुक्ति; व्याकरण दर्शन का प्रतिपाद्य; व्याकरण दर्शन की परम्परा ।
(२) नागेश भट्ट और उनकी कृतियाँ
नागेश भट्ट; समय; जीवन वृत्त; विद्या-गुरु; शिष्य-परम्परा; कृतियाँ; कृतियों का कालक्रम; नागेश भट्ट-कृत तीन मंजूषा ग्रन्थ; वैयाकरण-सिद्धान्तमंजूषा का दूसरा नाम स्फोटवाद; तीनों मंजूषा ग्रन्थों का प्रतिपाद्य; वैयाकरणसिद्धान्तलघुमंजूषा तथा वैयाकरणसिद्धान्तपरमलघुमंजूषा का तुलनात्मक अध्ययन एवं परमलघुमंजूषा का वैशिष्ट्य; परमलघुमंजूषा पर वैयाकरणभूषणसार का प्रभाव; परमलघुमंजूषा का महत्त्व; प्रस्तुत अध्ययन ।
वैयाकरणसिद्धान्तपरमल घुमंजूषा
शक्ति-निरूपण
१-६२
मंगलाचरण; आठ प्रकार के स्फोट, आठ प्रकार के स्फोटों में वाक्यस्फोट की प्रमुखता; 'वाक्यस्फोट' के स्वरूप-बोधन के लिये प्रकृति-प्रत्यय की कल्पना; 'वर्णस्फोट' को मानने की
आवश्यकता तथा 'स्थानी' और 'आदेश' की वाचकता के विषय में विचार; व्याकरण-भेद से 'स्थानी' आदि के भिन्नभिन्न होने पर भी शब्द से अर्थ का बोध होने में कोई क्षति नही होती; प्राप्तों के द्वारा उपदिष्ट शब्द को भी प्रमाण कोटि में माना गया है; शाब्द बोध में कार्य-कारण-भाव के स्वरूप का
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