Book Title: Vyakaran Siddhant Param Laghu Manjusha
Author(s): Nagesh Bhatt, Kapildev Shastri
Publisher: Kurukshetra Vishvavidyalay Prakashan

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Page 13
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra धैसिलम ० वंमि० व्युवा० स० ह० www.kobatirth.org ६ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वैयाकरणसिद्धान्तलघुमंजूषा, कुंजिका तथा कला टीकाओं के के साथ, माधव शास्त्री भण्डारी द्वारा सम्पादित चौखम्बा संस्कृत सीरीज, बनारस से कई भागों में, १६२४-२५, १६२७-२६ में, प्रकाशित परमलघुमंजूषा, वंशी टीका सहित, पं० वंशीधर मिश्र सम्पादित, गया, १६५७ गदाधर कृत व्युत्पत्तिवाद, जया टीका सहित संहिता अथवा संख्या हस्तलेख (वाराणसेय संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी के परमलघुमंजूषा सम्बन्धी चार हस्तलेख' यहाँ संकेतित हैं) १. चारों हस्तलेखों का विवरण (१) हस्तलेख संख्या ३८५६२, पत्र संख्या १- ३१, पूर्ण, आकार १०.२४४.३, प्रति पृष्ठ १० पंक्ति, प्रति पंक्ति ५० अक्षर लिपि काल १८४७, अनेक स्थानों पर कीड़ों द्वारा खाया हुआ । (२) हस्तलेख संख्या ३६०३४, पत्र संख्या १-३७, पूर्ण, आकार १२.५X४.६, लिपि काल १८७० । (३) हस्तलेख संख्या ३६०३४, पत्र संख्या १-३७, पूर्ण, आकार १२.५ ४.४, लिपिकाल १६०४, कहीं कहीं व्याख्यात्मक टिप्पणियां हैं। (४) हस्तलेख संख्या ४०३४१ पत्र संख्या १-४३, आकार १२. ४०६, लिपि काल अज्ञात । For Private and Personal Use Only

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