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विविध पूजन संग्रह
ॐ हाँ ही हु हैं ह्रौं हुः परमार्हते परमेश्वराय गन्ध-पुष्पादि-संमिश्र-मृगमद-श्रीखण्ड-कश्मीरीजादिसंयुत-जलेन स्नापयामीति स्वाहा ।
कुसुमांजलि यह मंत्र बोलते हुए सम्पूर्ण कुसुमांजलि अर्पण कर देना । नानासुगन्धि-पुष्पौध-रञ्जिता चञ्चरीक-कृतनादा । धूपामोद-विमिश्रा, पततात्पुष्पाञ्जलि बिम्बे ॥१॥ (आर्या) ॐ हाँ ही हूँ हैं ह्रौं हुः परमार्हते परमेश्वराय पुष्पाञ्जलिभिरर्चयामीति स्वाहा ॥ ए मंत्र बोली पुष्पांजलिथी पूजन करवू ।
॥ इति अष्टादश स्नात्रम् ॥ शुद्ध जल से परमात्मा का प्रक्षाल करना तीन अंगलूछणा करवाना । मंत्रोच्चार पूर्वक अष्टप्रकारी पूजा या का विधान करना । तत्पश्चात् आरती, मंगल दीपक, शांति स्नात्र करना, भाव पूजा करना । विधिकारक देव वन्दन करें । सभी चैत्यवंदन करें।
अविधि आशातना मिच्छामि दुक्कडं ।
श्री अठारह अभिषेक
॥९६ ॥
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