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विविध पूजन संग्रह
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देव-गुरु-धर्म, साधर्मिक भक्ति, जीवदया और ज्ञानादि तीर्थयात्रा आदि कार्य में यशाशक्य दानादि, पू. साधु| साध्वीजी म.सा. की भक्ति एवं समेतशिखरादि अनेक तीर्थों की यात्रा । विधिकारक :
अंजनशलाकाएं एवं प्रतिष्ठायें-पूजन आदि देवाधिष्ठित विधान है। इन अनुष्ठानों में मंत्र उच्चारण एवं सामग्री चढ़ाने में पूर्ण उपयोग एवं ध्यान रखना चाहिए, जिससे वह विधान फलदायक होता है । इस तरह आप का पूर्ण लक्ष्य रहता है । आपको भटिण्डा में प.पू. जयानन्दविजयजी म.सा. (अभी आचार्य) की निश्रा में जैन संघ भटिण्डा ने "विधिकार शिरोमणि" पद देकर सन्मान किया ।
हमारे जैन समाज में इस तरह धार्मिकता की आभा फैलाते रहें । इसी भावना से हम आप के विद्यार्थी | सदा शासन देवसे प्रार्थना करते हैं। आपने यह सम्पादन गोडवाड दिपिका सा. म. के आशीर्वाद से किया है। आपके हम आभारी है। पण्डितजी की अन्तिम इच्छा यही है कि जब तक महाविदेह में श्री सीमन्धर स्वामि भगवान का शरण प्राप्त न हो तब तक भवोभव एसा ही ज्ञानमार्ग और भक्तिमार्ग प्राप्त होता रहे।
आप चिरायु हो
. श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ धाम
विरामी ढाणी
मेनेजिंग ट्रस्टी श्रीमान् शा चन्द्रभाणजी
सम्पादकीय परिचय
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