Book Title: Vividh Pujan Sangraha
Author(s): Champaklal C Shah, Viral C Shah,
Publisher: Anshiben Fatehchandji Surana Parivar
View full book text
________________
श्री अष्टोत्तरी व
शान्तिस्तात्रादि
विधि
॥४९॥
आँ ही क्रॉ ऐं ह्यौं पद्मावतीसहिताय धरणेन्द्र संवौषट् स्वाहा । (माळा स्फटिकनी) (८) उक्त मंत्र वडे फूल, वासचोखा अने पाणी पसलीमां लई त्रण वार अर्ध्य देवां. (९) बे हाथ जोडी नीचे प्रमाणे प्रार्थना करवी - . पातालाधिपतिर्यस्तु, सर्वदा पद्मवाहनः । संघस्य शान्तये सोऽस्तु बलिपूजां प्रतीच्छतु ॥१॥
॥ इति पातालधिपनागेन्द्रपूजा १० ॥ सर्वसाधारण अर्ध्य देवानो विधिः ।
अष्टोत्तरी व (१) पूजक श्रावक एक थाळमां श्रीफळ, अक्षत, बहुवर्णी पुष्पो, रुपियो एक, पीलुं वस्त्र |
पुण्या, सापया एक, पालु वस्त्र शान्तिस्नानादि तथा बीजा फळो लइ ऊभा रही आ मंत्र बोले. ॐ इन्द्राग्नियमनैर्ऋतवरुणवायुकुबेरेशानब्रह्मनागेति दशदिक्पालाजिनपतिपुरतोऽवतिष्ठन्तु स्वाहा । ए प्रमाणे बोलीने श्रीफळ वगेरे पट्टक उपर मूकवा. (२)ते पट्टकने एक गज पीळा रेशमी वस्त्र वडे ढांकीए-वरख आदि छापीए अने | ते पट्टकने वस्त्र सहित नाडाछडी बडे बांधी प्रभुनी सन्मुख अथवा दक्षिण बाजु स्थापीए. (३) पूजकर
विधि
॥४९॥
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.ininelibrary.org

Page Navigation
1 ... 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266