Book Title: Vividh Pujan Sangraha
Author(s): Champaklal C Shah, Viral C Shah, 
Publisher: Anshiben Fatehchandji Surana Parivar

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Page 255
________________ श्री अष्टोत्तरी व शान्तिस्नानादि विधि ॥८६॥ स्नात्र २१ - ॐ वीसा पणयाला वि य, तीसा पन्नत्तरी जिणवरिंदा । गहभूअरक्खसाइणी, घोरुवसग्गं पणासंतु ॥२१॥ ही स्वाहा ॥ स्नात्र २२ - ॐ सत्तरि पणतीसा विय, सट्टी पंचे व जिणगणो एसो । वाहिजलजलणहरिकरि-चोरारिमहाभयं हरउ ॥२२॥ ही स्वाहा ॥ स्नात्र २३ - ॐ पणपन्ना य, दसेव य, पन्नट्ठी तहय चेव चालीसा । रक्खंतु मे सरीरं, देवासुरपणमिया सिद्धा ॥२३॥ ही स्वाहा ॥ स्नात्र २४ - ॐ श्रीमते शान्तिनाथाय, नमः शान्तिविधायिने । त्रैलोक्यस्यामराधीश-मुकुटाभ्यर्चितांघ्रये ॥२४॥ ह्रीं स्वाहा स्नात्र २५ - ॐ शान्तिः शान्तिकरः श्रीमान्, शान्तिं दिशतुं मे गुरुः । शान्तिरेव सदा तेषां, येषां शान्तिर्गृहे गृहे ॥२५॥ ही स्वाहा ॐ उन्मृष्टरिष्टदुष्ट-ग्रहगतिदुःस्वप्नदुर्निमित्तादि । सम्पादितहितसंप-नामग्रहणं जयति शान्तेः : ॥ स्वाहा श्री अष्टोत्तरी व शान्तिस्नानादि विधि ॥८६॥ Jain Education International For Personal & Private Use Only

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