Book Title: Vividh Pujan Sangraha
Author(s): Champaklal C Shah, Viral C Shah,
Publisher: Anshiben Fatehchandji Surana Parivar
View full book text
________________
श्री अष्टोत्तरी व शान्तिस्नात्रादि विधि
॥८७॥
स्नात्र २७ - ॐ श्री संघजगज्जनपद-राजाधिपराजसन्निवेशानाम् ।
गोष्ठिकपुरमुख्याणां, व्याहरणैाहरेच्छान्तिम् ॥२७॥ ही स्वाहा ॥ श्रीश्रमणसंघस्य शान्तिर्भवतु ।१। श्रीजनपदानां शान्तिर्भवतु ।२।श्रीराजाधिपानांशान्तिर्भवतु ।।श्रीराजसन्निवेशानांशान्तिर्भवतु।४। श्रीगोष्ठिकानांशान्तिर्भवतु ।५।श्रीपौरमुख्याणां शान्तिर्भवतु ।६।श्रीपौरजनस्य शान्तिर्भवतु ।७। श्रीब्रह्मलोकस्य शान्तिर्भवतु ।८। ॐ हीं स्वाहा । ॐ स्वाहा । ॐ स्वाहा । ॐ श्री पार्श्वनाथाय स्वाहा।
ॐ नमो तुह दंसणेण सामिय पणासए रोगसोगदोहग्गं । कप्पहुमेव जायइ, तुह दंसण पसमस्स फलहेउ ॥१॥ ही स्वाहा ॥ ॐ नमः एव पणवसहियं, मायाबीएण धरणनागिंदं ।
श्रीकामरायकलियं, पासजिणिंदं नमसामि ॥२॥ ही स्वाहा ॥ . १. आ बीजा पदने स्थाने सातमुं पण बोलाय छे, बाकी क्रम छ ए ज प्रमाणे ।
श्री अष्टोत्तरी व शान्तिस्नात्रादि विधि
॥८७॥
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.ininelibrary.org

Page Navigation
1 ... 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266