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विविध पूजन संग्रह
॥ ११३ ॥
दश गणधर पूजन
द्वितीयवलय. ये गणधर श्रीगौतमस्वामि जैसे ही महानविद्वान् थे । और सबके मन के अंदर एक-एक संशय | रहा हुआ था। लेकिन अहं के कारण बता नहीं सकते है, परम कृपालु महावीर परमात्मा का सान्निध्य प्राप्त होते ही गुरुगौतमस्वामी की तरह दश गणधरोने परम कृपालु परमात्मा का शरण स्वीकारा, अपने संशयों का निवारण किया और परमात्मा ने दशों को गणधर पद पर स्थापन किया । वो हमारे लिए परमगुरु परम आदरणीय है । इस लिए दश गणधरों के नाम पूर्वक इनका पूजन किया जा रहा है।
ह्रीं श्रीं अग्निभूतये नमो नमः स्वाहा ॥ २. ॐ ह्रीं श्रीं वायुभूतये नमो नमः स्वाहा ॥
ही श्री व्यक्ताय नमो नमः स्वाहा ॥ ह्रीं श्रीं सुधर्मस्वामिने नमो नमः स्वाहा ॥
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श्री गौतमस्वामी पूजनविधि
॥११३॥
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