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विविध पूजन संग्रह
॥ १३८ ॥
(८) दिग् बंधन :
जिमने (दाहिने) हाथ में पानी लेकर नीचे लिखा मंत्र बोलते हुए प्रत्येक दिशा में पानी छांटने से दिग् बन्धन की क्रिया होती है। | पूर्व दिशा-क्षा, दक्षिण दिशा-क्षिं, पश्चिम दिशा-झू, उत्तर दिशा-क्षौं, उर्ध्व दिशा-क्षः । (९) अंगुली न्यास :
नीचे लिखे बिजाक्षर तीन-तीन बार बोलकर डाबे हाथ (बाया हाथ ) की अनामिका अंगुली से जिमने हाथ (दाहिना हाथ) की अंगुलियों पर स्थापना करनी । प्रथम बीजाक्षर कनिष्ठिका अंगुली 4 पर फिर क्रमवार अंगुठे तक यह क्रिया करना ।
“हाँ ह्रीं हूँ हूँ ह्रौं हुः"
इस न्यास के द्वारा अंगुलियाँ दैविक शक्ति से विभूषित हो रही है। - ऐसा समझना चाहिए। (१०) अंगन्यास :
निम्न अनुसार अंगन्यास करना :
श्री पार्श्व पद्मावती महापूजन विधि
॥१३८॥
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