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विविध पूजन संग्रह
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अञ्चच्चाटिक पट्टिकादि विलगद् ग्रैवेयकैर्भूषणैः ।
सिंदुरांगसुकांति वर्ष सुभगैः सम्पूजयामो वयम् ॥" "उत्तम मणि और माणिक्यों से जड़ी हुई कटि मेखला, केयूर, उत्तम कुण्डल पावों के पायजेब बाजुबंध, अंगुठी, मुकुट, चुंदडी और साड़ी, हार तथा अनेक तरह के आभूषण अंग की कांति बढ़ाने वाला सिंदुर आदि वस्तुओं के द्वारा हे माता पद्मावती ! आज मैं आपकी पूजा कर रहा हूँ।"
फिर तैयार रखे हुए सोलह शृंगार भाव पूर्वक माताजी को समर्पित करना । निम्न मंत्र बोलना :“ॐ ह्रीं श्रीं पद्मावत्यै आभरणं समर्पयामि स्वाहा"
स्वरूप का ध्यान निम्न श्लोक तीन बार बोलना ।
"पाश-फल-वरद-गजवशकरण-करा पद्म विष्टरा पद्मा । सा मां पातु भगवती, त्रिलोचना रक्त-पुष्पाभा ॥"
श्री पार्श्व पद्मावती महापूजन विधि
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