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देनेवाली, जाबों को धन स्वामिनी,
विविध पूजन संग्रह
॥ १५५ ॥
रंकानां धनदायिका सुफलदा वांच्छार्थिचिंतामणी ।
त्रैलोक्याधिपतिर्भवार्णवतरी पद्मावती पातु वः ॥" "लक्ष्मी जैसा सुख देनेवाली, जगत को सुखी करनेवाली, वंध्याओं को पुत्र देनेवाली, अनेक प्रकार के रोगों को नष्ट करनेवाली, गरीबों को धन देनेवाली, उत्तम फल देनेवाली, इच्छानुसार इच्छित वस्तु देने में चिंतामणी के समान, तीन लोको की स्वामिनी, संसार समुद्र को पार करने के लिये नौका के समान है । माता पद्मावती आपकी रक्षा करे ।" "स्वस्ति-श्रीं ह्री-धृर्ति-मेघा क्षेमं कल्याणमस्तु वः । तावत् पद्मावती पूजा यावच्चंद्रदिवाकरौ ।"
फिर थाली में १०८ दीपक की आरती तथा कपूर जलाकर रूपानाणां भेट रखकर श्री पद्मावती माताजी की आरती उतारना ।
श्री पार्श्व पद्मावती महापूजन विधि
॥१५५ ॥
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