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विविध
पूजन संग्रह
।। १३७ ।।
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( ५ ) कल्मष दहन :
कल्मष याने पाप । इसका दहन करने के लिये जो क्रिया की जाती है । वह कल्मष दहन । निम्न मंत्र बोलकर दोनों भुजाओं के स्पर्श करना चाहिए । यह क्रिया तीन बार
करना ।
"ॐ विद्युत्स्फुलिंगे महाविद्ये सर्व कल्मर्ष दह दह स्वाहा ।" (६) हृदय शुद्धि :
डाबे (बाये) हाथ से हृदय को स्पर्श करते हुए निम्न मंत्र तीन बार बोलना :"ॐ विमलाय विमलचित्ताय क्ष्वाँ क्ष्वीं स्वाहा ।"
(७) पंच बीज की धारणा :
डाबे (बाये) हाथ से स्पर्श करते हुए नीचे लिखे पंच बीज की धारणा करना :"हृदये हाँ कंठे ह्रीँ तालव्ये हूँ ललाटे हूँ शिखायां हूँ: । "
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श्री पार्श्व
पद्मावती महापूजन विधि
॥ १३७ ॥
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