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तैयारी एवं सामग्री :
ध्वजादंड जितनी ध्वजा लम्बी होनी चाहिए और लम्बाई का आठवां भाग चौड़ी होनी चाहिए या ध्वजा विविध
|लटकाने वाली सरिया जितनी चौड़ाई होनी चाहिए। पूजन संग्रह
परिकर के साथ भगवान विराजमान हो तो ध्वजा बीच में सफेद और किनारे दोनों लाल होने चाहिए।
बिना परिकर के प्रतिमा जी हो तो बीच में लाल और साईड सफेद पट्टी होनी चाहिए । ॥ १३१ ॥
ध्वजा के उपर केसर से सूर्य, चन्द्र, ॐ ह्रीं श्रीं स्वाहा मंत्र लिखना । नीचे तीन साथिया और चौतिसा यंत्र बनाना एवं लिखना । विधि :
सुबह स्नात्र पढ़ाना बाद में सत्तरभेदी पूजा पढ़ाते नौंवी ध्वजा पूजा पढ़ानी प.पू. गुरु भगवंत मौजूद हो तो उनके मुख से मंत्र उच्चारण करवाना और वासक्षेप करवाना । प.पू. न हो तो उत्तम श्रावक से सात बार | मंत्रोच्चारण करवाते हुए वासक्षेप करवाना ।
मंत्र :- मंत्र ॐ ह्रीं श्रीं ठः ठः ठः स्वाहा ।। ध्वजा पूजा पढाकर अष्टप्रकारी पूजा करनी, गुरुदेव का वासक्षेप करना फिर सौभाग्यवती स्त्री ध्वजा को थाली में रखकर सिर पर धारण कर थाली डंका के नाद के साथ जिनालय को अथवा सिंहासन को तीन बार
वार्षिक ध्वजारोहण
॥१३१ ॥
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