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विविध पूजन संग्रह
॥ १०९ ॥
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ॐ ह्रीं श्रीं अरिहंत उवज्झाय परम विनय रूपाय सूरी मंत्र रचना कारकाय वाणी त्रिभुवन स्वामीनी गणिपिटक यक्षराज संसेविताय अनन्त लब्धिनिधानाय प्रथमगणधराय श्री गौतमस्वामिने जलं चन्दनं पुष्पं धूपं दीपं अक्षतं नैवेद्यं फलं यजामहे स्वाहा ॥ ( ११-११ नंग फल नैवेद्य मण्डल में और यंत्र पर पक्षाल, पूजा, पुष्प आदि चढ़ाना ) गुरु पादुका पूजन:
गुरु कृपा बिना किसी भी कार्य में सिद्धि की प्राप्ति नहीं होती है अपने-अपने गुरुदेवो का स्मरण करके उनके उपकारों को याद करके मंत्रोच्चार के साथ मण्डल पर दाडम, (अनार), १ । रूपिया नैवेद्य व यंत्र पर गुरु पूजा करना ।
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु र्गुरुदेवो महेश्वरः । गुरुः साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः । ब्रह्मानंद परम सुखदं केवल ज्ञान मूर्तिम् । द्वन्दातीतं गगनसदृशं तत्त्वमस्यादिलक्ष्यम् । एकं नित्यं विमलाचलं सर्वदासाक्षीभूतम् । भावातीतं त्रिगुणरहितं, सद्गुरुं तं नमामि । ॐ ह्रीं अनन्तानन्त गुरुपादुकाभ्यो नमो नमः स्वाहा ॥
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श्री गौतमस्वामी पूजनविधि
।। १०९ ।।
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