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विविध पूजन संग्रह
॥ १०१ ॥
(७) आज्ञा धारण करना . (परम कृपालु परमात्मा की आज्ञा स्वीकार करने हेतु तिलक विधान निम्नोक्त मंत्र से करना ॥)
"ॐ आँ ह्रीं क्रौ अर्हते नमः॥" (८) स्वस्तिक मुद्रा द्वारा दोनों भुजाओं पर हाथ रखकर मन-वचन-काय की एकाग्रता द्वारा दुष्ट
कर्म जलकर भस्मीभूत हो रहे है ऐसी कल्पना करना
"ॐ विद्युत् स्फुलिंगे महाविद्ये सर्वकल्मषं दह-दह स्वाहा ॥" (९) आत्म रक्षा मंत्र A (उर्ध्व)
B (अधो) बीज-वर्ण
बीज-वर्ण "क्षि"-पृथ्वि-पीत दोनों पैर की जांघ पर| "हा"-आकाश-श्याम- ललाट पर | "प"-जल-श्वेत-नाभिपर
"स्वा"-वायु-नील-मुखपर "ॐ"-अग्नि-रक्त-हृदयपर
"ॐ"-अग्नि-रक्त-हृदयपर
श्री
गौतमस्वामी पूजनविधि
॥१०१॥
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