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विषाह-क्षेत्र,प्रकाश। कंसके राज भवन पर पाए । उन्हें देखकर ( कंसको रानी) जीवधशा प्रसन्न हो हँसीसे कहने लगी 'देखो। यह देवकीका रजस्वल आनन्द वस्त्र है और इसके द्वारा तुम्हारी छोटी बहन (देवकी) अपनी चेष्टाको तुम पर प्रकट कर रही है। इसे सुन कर मुनिको क्रोध श्रागया और व अपनी वचनगुप्तिको भंगकरके कहने लगे, क्या कहने लगे, यह अगले पद्यों में बतलाया गया है।
यहाँ देवकीके लिये दो जगह पर 'अन्जा' विशेषणका जो प्रयोग किया गया है वह खास तौरसे ध्यान देने योग्य है। अनुजा कहते हैं *कनिष्टा भगिनी को-+ younger sister का--,जो अपने बाद पैदा हुई हो ( अन पश्चात् जाता इति अनुजा । ) और यह शब्द प्रायः अपनी सगी बहन अथवा अपने सगे ताऊ चचाकी लड़कीके लिये प्रयुक्त होता है। कंस उग्रसेन का पुत्र था और उग्रसेन.देवसेन दोनों सगे भाई थे, यह बात इस ग्रन्ध्र ( उत्तरपुराण ) में भी इससे पहले मानी गई हैx और इसलिये कसने देवसेनकी पुत्री अपनी छोटी बहन देवकी (देवसेनसुतां निजां अनजां देवकी ) घसदेवको प्रदोनकी,
*देखो ‘शब्दकल्पद्र म' कोश। देखो वामन शिवराम एंप्टेको संस्कृत इंग्लिश डिक्शनरी । - यथाः-पद्मावत्या द्वितीयस्य वृष्टेश्च तनयास्त्रयः ।
उग्र-देव-महाधुक्तिसेनान्ताश्च गुणान्विताः॥१०० ॥
इति तद्ववनं श्रुत्वा मंजूषान्त स्थपत्रकं । गृहीत्वावाचि. यित्वोच्चैस्प्रसेनमहीपतः ॥३६५॥ पद्मावत्याश्च पुत्रोयमिति ज्ञात्वा महीपतिः। विततारसुतां तस्मै राज्याध च प्रतुष्टवान्॥३६६॥ कंसोप्युत्पत्तिमात्रेण स्वस्य नया विसर्जनात्। -उत्तरपुराण, ७० वाँ पर्व ।