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अम्मवर्ण और अन्तर्जातीय विवाह । १६५ मनोहरतरां कन्या सोमशर्माग्रजन्मनः । सोमाख्यां वृत्तवांश्चक्री क्षत्रियाणांतथापराः ॥३४-२६।। ( ३ ) उज्जयिनीक वैश्य पुत्र ‘धन्यकुमार' का विवाह राजा श्रेणिककी पुत्री ‘गुणवतो' के साथ हुआ था । अपना कुल पूछा जाने पर इन्होंने गजा थेणिक से साफ़ कह दिया था कि में उजयिनीका रहने वाला एक वैश्यपुत्र हूं और तीर्थ. यात्रा के लिये निकला हुआ है। इस पर श्रेणिक न ‘गणवती' श्रादि १६ कन्याओं के साश इनका विवाह किया था । जैसाकि रामचन्द्र-मुमुद कृत 'पुण्यात कशाकशिसे प्रकट है :
" राजा (श्रेणिकः) ऽभयकुमारादिभिरपथमाययौ । राज भवनप्रवेश्यक कुलोभवानिति पप्रच्छ । कुमारो व्रत उज्जयिन्यांवैश्यात्मजोतीर्थयात्रिकः । ततोनपोगुणवत्यादिभिः षोडशकन्याधिस्वस्य विवाहं चकार ।।" इमी पुण्यान्नव कथाकोशमें 'भविष्यदस' नामके एक वैश्य पुत्रकी भी कथा है, जिसने हरिपुर के अग्जिय राजाकी पुत्री 'भविष्यानुरूपा' से और हस्तिनापुरके राजा भूपालकी कन्या 'स्वरूपा' से विवाह किया था और जिसके उल्लेखोंको विस्तार भयसै यहाँ छोड़ा जाता है।
( ४ ) इसी तरह पर हिन्दु धर्मके प्रन्यों में भी प्रतिलोम विवाहके उदाहरण पाये जाते हैं जिसका एक नमूना 'ययाति' राजाका उशना ब्राह्मण (शुक्राचार्य) की 'देवयानी' कन्या से विवाह है। यथा :
तेषां ययातिः पंचानां विजित्य वसुधामिमां ।