Book Title: Vivah Kshetra Prakash
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Johrimal Jain Saraf

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Page 178
________________ परिशिष्ट। भामादिक कुछ स्त्रियाँ भी, उनके मतसे, कृष्णको सरह कोषुके अशा ही उत्पन्न हुई गी; जैसाकि उक्त हरिवंशपुराण के टीका• र नाल काटना, ३६ अध्यायकी टीकाका प्रारंभ करते हुए 1:- उरके 'माटारंथाभवापुत्री" इत्यादि पद्य पर टिप्पणी बत हुए, लिखते है : “पावशे वर्णने वंशः क्रोष्टोर्यदुसुतस्य च । पत्र जाता महालक्ष्मी रुक्मिणी शक्तिरीश्वरी ॥१॥ क्रोष्टोरेवेति । यथा कृष्णः क्रोष्टुवंशेजात एवं सत्यभामादयोऽपि नत्रैव जाना इति वक्तुपेवकार ।"

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