Book Title: Vastu Chintamani
Author(s): Devnandi Maharaj, Narendrakumar Badjatya
Publisher: Pragnyashraman Digambar Jain Sanskruti Nyas Nagpur
View full book text
________________
xxxii
वास्तु चिन्तामणि
जाता है। सही दिशाओं के संतुलित अनुपात में यदि निर्माण किया जाए तो निश्चय ही ये भूखण्ड जिनमें प्रशिक्षण, पशिया या दोनों ओर सड़प हो, फायदेमंद साबित हो सकते हैं। एक पृथक प्रकरण सड़क की अपेक्षा प्रवेश द्वार निर्मित करने के संदर्भ में अत्यंत उपयोगी एवं महत्त्वपूर्ण है।
षष्टम खण्ड द्वार प्रकरण में मुख्य द्वार बनाने की स्थितियों का विस्तार से वर्णन किया गया है। पूर्व द्वार विजय द्वार कहा जाता है। पश्चिमी द्वार मकर द्वार तथा दक्षिणी द्वार यम द्वार कहा जाता है, जबकि उत्तरी द्वार कुबेर द्वार। दरवाजों के विशद वर्णन से विषय एकदम स्पष्ट हो जाता है। राज वल्लभ ग्रंथ में वर्णित द्वार की ऊंचाई एवं चौड़ाई तथा उसके फलाफल का वर्णन भी आचार्यश्री ने अत्यंत सुगम शैली में किया है। चौखट, देहरी तथा खिड़कियों का विचार भी पृथक-पृथक प्रकरणों में कुशलतापूर्वक किया गया है।
रंगों का मनुष्यों के मन पर प्रभाव पड़ता है। आधुनिक विज्ञान भी इस सिद्धान्त को मान्यता देता है। किन रंगों का क्या प्रभाव होता है, यह रंग योजना प्रकरण में संकेतित है। यदि किसी कमरे में काला रंग किया जाए तो वह निवासी के लिए मन दुषित करने वाला तथा अशुभ होता है। यद्यपि प्राचीन ग्रंथों में थोड़े ही रंगों के नाम मिलते हैं, जबकि आजकल रासायनिक प्रक्रियाओं से निर्मित रंगों में अत्यधिक विवधता देखने को मिलती है। मूल रंगों के शुभाशुभ प्रभावों के अनुरुप ही मिश्रित रंगों का प्रभाव समझना चाहिए। अंत: सज्जा आयोजना में ऐसे चित्र लगाने का परामर्श है, जो मनोहारी हों। क्रोध, शोक, भय, ग्लानि, जुगुप्सा व्यक्त करने वाले चित्र नहीं लगाना चाहिए। वर्तमान में मॉडर्न आर्ट के नाम पर अजीब किस्म के चित्रों को लगाने का चलन हो गया है किन्तु लगातार मानसिक तनावों से इनका गहरा नाता देखा जाता है। मानसिक शांति एवं प्रसन्नता के लिए भयोत्पादक एवं चंचलता उत्पन्न करने वाले चित्र न लगायें। अति वैराग्य के चित्र भी घर में उदासी का वातावरण निर्मित करते हैं।
पुरानी सामग्री के प्रयोग का निषेध वास्तुसार एवं समरांगण सूत्रधार ग्रंथों में दिया गया है। कुछ विशिष्ट प्रकारों की लकड़ी का प्रयोग भी निषिद्ध किया गया है। आधुनिक युग में यथासंभव इनका पालन करना उपयुक्त है। वृक्षों का जीवन में बड़ा महत्त्व है। वास्तु विज्ञान के अनुसार पृथक-पृथक वृक्षों का गृह के समीप लगाने से शुभाशुभ परिणाम शास्त्रकारों ने वर्णित किया है। श्लोकार्थ के समझने के लिए इस प्रकरण में सारणी दी गई है। गृह अपशकुन का भी संक्षिप्त वर्णन किया गया है।