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तीर्थंकर : एक अनुशीलन 2 67
25.पर्वत 26. चामर
27. दर्पण 28. बलद 29.पताका 30. लक्ष्मी 31. माला 32. मयूर
ये 32 लक्षण पूर्वकृत पुण्य के योग वाले पुरुष के हाथ पैरों के तलवे में होते हैं। तीर्थंकरों का पुण्य तो उत्कृष्ट पुण्यानुबंधी पुण्य होता है तो ये 32 लक्षण किस गणना में आते हैं। उत्तराध्ययन सूत्र के बाइसवें रथनेमीय अध्ययन में लिखा है
___'तित्थकरा अट्ठसहस्स लक्खणधरो।' अर्थात् तीर्थंकरों के तो एक हजार आठ (1008) शुभ शारीरिक लक्षण होते हैं। 1. श्रीवृक्ष 2. शंख .
3. कमल (सरोज) 4. स्वस्तिक 5. अंकुश
6. तोरण .7. चमर
8. श्वेत छत्र 9. सिंहासन 10. ध्वजा (पताका) 11. मीनयुगल 12. कुंभद्वय 13. कच्छप 14. चक्र
15. समुद्र 16. सरोवर 17. विमान
18. भवन 19. हाथी
21. स्त्री 22. सिंह 23. बाण
24. धनुष 25. मेरु पर्वत 26. इन्द्र
27. देवांगना 28. पुर 29. गौपुर
30. चन्द्रमा 31. सूर्य
32. अश्व (घोड़ा) 33. तालवृत (पंखा) 34. बाँसुरी 35. वीणा
36. मृदंग 37. मालाएँ
38. रेशमी वस्त्र 39. दुकान 40. शेखर पट्टशीर्षाभूषण 41. कंटिकावली हार 42. पदक 43. ग्रैवेयक ___44. प्रालम्ब (आभूषण) 45. केयूर (आभूषण) 46. अंगद (आभूषण) 47. कटिसूत्र (आभूषण) 48. मुद्रिकाएँ (आभूषण) 49. कुंडल (आभूषण) 50. कर्णपुर (आभूषण) 51. दो कंकण (आभूषण) 52. मंजीर (आभूषण) 53. कटक (आभूषण) 54. पट्टिका (आभूषण) 55. ब्रह्मसूत्र (आभूषण) 56. फलभरित 57. पके वृक्षों का खेत 58. रत्नद्वीप 59. वज्र
60. पृथ्वी
20. मनुष्य
धार्मिकों का जागना श्रेयस्कर है और अधार्मिकों का सोना श्रेयस्कर है।
- बृहत्कल्पभाष्य (3386)