Book Title: Tirthankar Ek Anushilan
Author(s): Purnapragnashreeji, Himanshu Jain
Publisher: Purnapragnashreeji, Himanshu Jain

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Page 252
________________ तीर्थकर : एक अनुशीलन 88 231 श्री अजितनाथ जी के समय विचरे उत्कृष्ट 170 तीर्थंकर 5 भरत - 5 ऐरावत के 10 तीर्थंकर जम्बूद्वीप भरतक्षेत्र 01. श्री अजितनाथ ऐरावत क्षेत्र 02. श्री चन्द्रनाथ धातकीखण्ड पूर्वार्ध भरत क्षेत्र 03. श्री सिद्धान्तनाथ ऐरावत क्षेत्र . 04. श्री पुष्पदंत धातकीखण्ड पश्चिमाई भरत क्षेत्र 05. श्री करणनाथ ऐरावत क्षेत्र . 06. श्री जयनाथ (जिनस्वामी) अर्धपुष्कर पूर्वार्ध भरत क्षेत्र 07. श्री प्रभासनाथ ऐरावत क्षेत्र 08. श्री अग्राहिक (अक्षपास) अर्धपुष्कर पश्चिमार्ध भरत क्षेत्र 09. श्री प्रभावकनाथ ऐरावत क्षेत्र 10. श्री बलभद्र (नलवशा) 01. श्री जयदेव 04. श्री अनन्तहर्ष . 07. श्री प्रियंकर 10. श्री गुणगुप्त 13. श्री युगादित्य 16. • श्री महाकाय 19. श्री हरिहर 22. श्री अनन्तकृत 25. श्री महेश्वर । 28. श्री सौम्यकांत 31. श्री महीधर जम्बूद्वीप महाविदेह क्षेत्र के 32 तीर्थंकर 02. श्री कर्णभद्र 03. श्री लक्ष्मीपति 05. श्री गंगाधर 06. श्री विशालचन्द्र 08. श्री अमरादित्य 09. श्री कृष्णनाथ 11. श्री पद्मनाथ 12. श्री जलधर 14. श्री वरदत्त 15. श्री चन्द्रकेतु 17. श्री अमरकेतु 18. श्री अरण्यवास 20. श्री गमचन्द्र 21. श्री शान्तिदेव 23. श्री गजेन्द्र 24. श्री सागरचन्द्र 26. श्री लक्ष्मीचन्द्र 27. श्री ऋषभ 29. श्री नेमिप्रभ 30. श्री अजितभद्र 32. श्री राजेश्वर (गजेश्वर) विशेषः एक समय में उत्कृष्ट रूप से 170 तीर्थंकर ही हो सकते हैं, किन्तु किन्हीं भी दो तीर्थंकरों का मिलन कभी नहीं होता। अजितनाथ जी के समय में सम्पूर्ण तिर्छा लोक में 170 तीर्थंकरों का विचरण हो रहा था।

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