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तीर्थंकर : एक अनुशीलन 8 234
मौन एकादशी के दिन 150 कल्याणक की गणना तीर्थंकर | जम्बूद्वीप भरत क्षेत्र
धातकीखंड-पूर्वभरत क्षेत्र क्रमांक (1) अतीत चौबीसी
(4) अतीत चौबीसी श्री महायश सर्वज्ञाय नमः
4. श्री अकलंक सर्वज्ञाय नमः श्री सर्वानुभूति अर्हते नमः
6. श्री शुभंकर अर्हते नमः श्री सर्वानुभूति नाथाय नमः
6. श्री शुभंकर नाथाय नमः श्री सर्वानुभूति सर्वज्ञाय नमः 6. श्री शुभंकर सर्वज्ञाय नमः श्री श्रीधरजिन नाथाय नमः
7. श्री सत्यनाथ नाथाय नमः (2) वर्तमान चौबीसी
(5) वर्तमान चौबीसी श्री नमिनाथ सर्वज्ञाय नमः
21. श्री सर्वांगनाथ सर्वज्ञाय नमः श्री मल्लिनाथ अर्हते नमः
19. श्री गांगिकनाथ अर्हते नमः श्री मल्लिनाथ नाथाय नमः
19. श्री गांगिकनाथ नाथाय नमः श्री मल्लिनाथ सर्वज्ञाय नमः 19. श्री गांगिकनाथ सर्वज्ञाय नमः श्री अरनाथ नाथाय नमः
18. श्री त्रिमुष्टिनाथ नाथाय नमः (3) अनागत चौबीसी
(6) अनागत चौबीसी श्री स्वयंप्रभ सर्वज्ञाय नमः
4. श्री सम्प्रति सर्वज्ञाय नमः श्री देवश्रुत अर्हते नमः
6. श्री मुनिनाथ अर्हते नमः, श्री देवश्रुत नाथाय नमः
6. श्री मुनिनाथ नाथाय नमः श्री देवश्रुत सर्वज्ञाय नमः
6. श्री मुनिनाथ सर्वज्ञाय नमः श्री उदयनाथ नाथाय नमः
7. श्री विशिष्टनाथ नाथाय नमः
एक समय द्वारिका नगरी में श्री नेमिनाथ भगवान पधारे। श्रीकृष्ण ने उन्हें 3 प्रदक्षिणा की व प्रश्न किया “हे स्वामिन्। एक वर्ष में 360 दिन होते हैं। उन सभी दिनों में ऐसा कौनसा दिन है जिसमें अल्पव्रत तप प्रमुख करने पर भी वह दिन बहुत ज्यादा फल देने वाला होता है ?
तब भगवान ने फरमाया कि हे कृष्ण ! मार्गशीर्ष शुक्ल 11 के दिन अल्प पुण्य करने पर भी बहुत पुण्य मिलता है। अतीत-अनागत-वर्तमान समय के तीर्थंकरों के 150 कल्याणक इसी दिन होते हैं। अतः इस दिन एक उपवास किया जाए तो 150 उपवास का लाभ मिलता है। घर संबंधीसांसारिक कर्मों का त्याग कर मौन रहकर चउविहार उपवास सहित पौषध करनी चाहिए। श्रीकृष्ण ने पुनः पूछा “हे स्वामिन् ! पूर्व में किस पुण्यवान जीव ने इस मार्गशीर्ष शुक्ल 11 की आराधना की है ? इससे क्या फल की प्राप्ति हुई ? प्रभु ने उत्तर में सुव्रत मुनि का वृत्तान्त सुनाया