Book Title: Tirthankar Ek Anushilan
Author(s): Purnapragnashreeji, Himanshu Jain
Publisher: Purnapragnashreeji, Himanshu Jain

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Page 243
________________ | | - लं + । - E+++ 50858 तीर्थकर : एक अनुशीलन 8 222 पूर्व धातकीखंड के भरतक्षेत्र की त्रिकाल चौबीसी क्र.सं. | भूत काल वर्तमान काल | भविष्य काल श्री रत्नप्रभ श्री युगादिदेव श्री सिद्धनाथ | श्री अमितदेव श्री सिद्धान्त (सिंहदत्त) श्री सम्यग्नाथ (समकित) | श्री सम्भव श्री महासेन श्री जिनेन्द्र श्री अकलंक श्री परमार्थ श्री सम्प्रति श्री चन्द्रस्वामी श्री समुद्धर श्री सर्वस्वामी श्री शुभंकर श्री भूधर श्री मुनिनाथ श्री तत्त्वनाथ (सत्यनाथ) श्री उद्योत श्री विशिष्टनाथ (सुविष्ट) श्री सुंदरनाथ श्री आर्थव श्री अपरनाथ पुरन्दर श्री अभय श्री ब्रह्मशान्ति स्वामी श्री अप्रकंप श्री पर्वतनाथ श्री देवदत्त श्री पद्मनाथ श्री कार्मुक श्री वासवदत्त श्री पद्मानंद श्री ध्यानवर श्री श्रेयांस श्री प्रियंकर श्री कल्प जिन विश्वरूप श्री सुकृत श्री संवर तपस्तेज श्री भद्रेश्वर श्री शुचि (स्वस्थ) प्रतिबोध श्री मुनिचंद्र श्री आनन्द सिद्धार्थ श्री पंचमुष्टि श्री रविप्रभ संयम श्री त्रिमुष्टि श्री चन्द्रप्रभ (प्रभव) श्री अमल श्री गांगिक श्री सानिधनाथ श्री देवेन्द्र श्री प्रवणव श्री सुकर्ण श्री प्रवर श्री सर्वांग श्री सुकर्मा श्री विश्वसेन श्री ब्रह्मदत्त (ब्रह्मेन्द्र) श्री अमम | श्री मेघनंदन श्री इन्द्रदत्त श्री पार्श्वनाथ | श्री सर्वज्ञ श्री जिनपति श्री शाश्वतनाथ ओ देखने वालो ! तुम देखने वालों की बात पर विश्वास और श्रध्दा करके चलो। - सूत्रकृताश (2/3/11)

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