Book Title: Tirthankar Ek Anushilan
Author(s): Purnapragnashreeji, Himanshu Jain
Publisher: Purnapragnashreeji, Himanshu Jain

View full book text
Previous | Next

Page 242
________________ क्र.सं. 의 예 예 예 예 예 예 예 तीर्थंकर : एक अनुशीलन * 221 .. जंबूद्वीप ऐरावत क्षेत्र की त्रिकाल चौबीसी भूत काल वर्तमान काल | भविष्य काल श्री पंचरूप श्री चंद्रानन (बालचंद्र) श्री सुमंगल श्री जिनधर श्री सुचंद्र श्री सिद्धार्थ श्री संपुटिक (सम्प्रतक) श्री अग्निसेन श्री निर्वाण श्री उज्जयंतिक श्री नंदिषेण (आत्मसेन) श्री महायश (नंदिषेण) श्री अधिष्ठायक श्री ऋषिदिन्न श्री धर्मध्वज श्री अभिनंदन श्री व्रतधारी श्री श्रीचंद्र (वज्रधर) श्री रत्नेश (रत्नसेन) श्री श्यामचंद्र (सोमचन्द्र) श्री पुष्पकेतु (निर्वाणनाथ) |श्री रामेश्वर श्री युक्तिसेन (दीर्घबाहु) श्री महाचन्द्र श्री अंगुष्टम श्री अजितसेन श्री श्रुतसागर श्री विनाशक श्री शिवसेन (सत्यसेन) श्री सिद्धार्थ श्री आरोष श्री देवसेन (देवशर्मा) श्री पुण्यघोष (पूर्णघोष) श्री सुविधान श्री निक्षिप्तशस्त्र श्री महाघोष श्री प्रदत्त श्री असंज्वल श्री सत्यसेन श्री जिनवृषभ (श्रीधर) श्री शूरसेन श्री सर्वशैल श्री अनन्तक (सिंहसेन) श्री महासेन |श्री प्रभंजन श्री उपशान्त श्री सर्वानन्द |श्री सौभाग्य श्री गुप्तिसेन श्री देवपुत्र (उत्तर) | श्री दिनकर (दिवाकर) श्री अतिपार्श्व श्री सुपार्श्व श्री व्रतबिंदु श्री मरुदेव श्री सुव्रत |श्री सिद्धकांत श्री सुपार्श्व (श्रीधर) श्री सुकोशल | श्री शारीरिक श्री श्यामकोष्ठ श्री अनन्तविजय | श्री कल्पद्रुम श्री अग्निसेन (महासेन) श्री विमल श्री तीर्थादि श्री अग्निपुत्र (अग्निदत्त) श्री महाबल | श्री फलेश श्री वारिषेण श्री देवानन्द 예 I is lenir tvoroo osamostaña en 예 예 श्री कुमार , 예 예 예 예 예 예 예 예 예 예 इन पाँचों स्थानों या कारणों से शिक्षा प्राप्त नहीं होती 1. अभिमान, 2. क्रोध, 3. प्रमाद, 4. रोग और 5. आलस्य। - उत्तराध्ययन (11/3)

Loading...

Page Navigation
1 ... 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266