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तीर्थंकर : एक अनुशीलन ॐ 194
केवलज्ञान नगरी (59)
केवलज्ञान वन (60)
शकटमुख उद्यान सहस्राम्र वन
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पुरिमताल अयोध्या श्रावस्ती अयोध्या अयोध्या कौशाम्बी वाराणसी चन्द्रपुरी काकन्दी भद्दिलपुर सिंहपुरी चंपापुरी कंपिलपुर अयोध्या रत्नपुरी हस्तिनापुर हस्तिनापुर हस्तिनापुर मिथिला राजगृही मिथिला गिरनार भेलुपुर (वाराणसी) जूंभिका नगरी
केवलज्ञान वृक्ष (61) न्यग्रोध वृक्ष (वट वृक्ष) सप्तपर्ण वृक्ष शाल वृक्ष प्रियाल वृक्ष. प्रियंगु (रायण) वृक्ष छत्राभ (छत्राकार) वृक्ष शिरीष वृक्ष नागकेसर (पुन्नाग) वृक्ष मल्ली (मालूर) वृक्ष पिलुंख वृक्ष तिंदुक वृक्ष पाटलक वृक्ष जंबू (जम्बु) वृक्ष अश्वत्थ (पीपल) वृक्ष ... दधिपर्ण वृक्ष नंदी वृक्ष तिलक वृक्ष आम्र वृक्ष अशोक वृक्ष चम्पक वृक्ष बाकुल वृक्ष वेतस वृक्ष धातकी वृक्ष शाल वृक्ष
विहारगेह वन सहस्राम्र वन
14.|
वेप्रगा वन
सहस्राम्र वन
17.
18.
19.
नीलगुहा वन सहस्राम्र वन
22. 23.
24.
आश्रमपद वन ऋजुवालिका नदी के तट पर
विशेष : केवली आत्माएँ समवसरण में भी तीर्थंकरों को वंदन नहीं करती क्योंकि वंदन घातिकर्मों
के क्षय के लिए किया जाता है एवं केवलज्ञानियों ने घातिकर्मों का क्षय कर लिया होता है अत: वंदन की आवश्यकता नहीं होती।