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तीर्थकर : एक अनुशीलन 8 197
| केवलज्ञानी श्रमण
(70)
श्राविकागण (68) सुभद्रा आदि 5 लाख 54 हजार 5 लाख 45 हजार 16 लाख 36 हजार
5 लाख 27 हजार 15 लाख 16 हजार 5 लाख 5 हजार
4 लाख 93 हजार 8. | 4 लाख 91 हजार
| 4 लाख 71 हजार 10.4 लाख 58 हजार 11.| 4 लाख 48 हजार 12.| 4 लाख 36 हजार 13.4 लाख 24 हजार 14.|4 लाख 14 हजार 15.| 4 लाख 13 हजार 16.| 3 लाख 81 हजार 17.| 3 लाख 81 हजार 18.3 लाख 72 हजार 19.| 3 लाख 70 हजार 20.| 3 लाख 50 हजार 21.| 3 लाख 48 हजार 22. | महासुव्रता आदि 3 लाख 36 हजार 23. | सुनन्दा आदि 3 लाख 39 हजार 24. | सुलसा आदि 3 लाख 18 हजार
प्रमुख भक्त राजा (69) भरत चक्रवर्ती सगर चक्रवर्ती मृगसेन राजा मित्रवीर्य राजा सत्यवीर्य राजा अजितसेन राजा दानवीर्य राजा मघवा चक्रवर्ती युद्धवीर्य राजा सीमंधर राजा त्रिपृष्ठ वासुदेव द्विपृष्ठ वासुदेव स्वयंभू वासुदेव पुरुषोत्तम वासुदेव पुरुषसिंह वासुदेव कुणाल (कोणालक) कुबेर राजा सुभूम चक्रवर्ती अजित राजा विजय राजा हरिषेण चक्रवर्ती श्रीकृष्ण वासुदेव प्रसेनजित राजा श्रेणिक राजा
20000 20000/22000 15000 14000 13000 12000 11000 10000 7500 7000 6500 6000 5500 5000 4500 4300 3200 2800/2200 2200
1800
1600
1500
1000
700
विशेष : जिस दिशा में भगवान महावीर स्वामी विहार करते, महाराज श्रेणिक हररोज उस दिशा
में 8-10 कदम आगे जाकर 108 स्वर्ण जव (जौ) से स्वस्तिक की रचना करते थे। राजा श्रेणिक की मृत्युचिता में भी 'वीर-वीर' की ध्वनि प्रसारित हुई थी।