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तीर्थंकर : एक अनुशीलन 88 175
वर्तमान चौबीसी का परिचय
& Lirimitivo rico
क्र.सं. तीर्थंकर का नाम
| श्री ऋषभदेव जी श्री अजितनाथ जी श्री संभवनाथ जी श्री अभिनन्दन स्वामी जी श्री सुमतिनाथ जी श्री पद्मप्रभ जी श्री सुपार्श्वनाथजी श्री चन्द्रप्रभ जी श्री सुविधिनाथ जी श्री शीतलनाथजी
| श्री श्रेयांसनाथ जी 12. श्री वासुपूज्य स्वामीजी
श्री विमलनाथ जी
श्री अनन्तनाथजी | श्री धर्मनाथजी श्री शान्तिनाथजी श्री कुन्थुनाथ जी श्री अरनाथ जी | श्री मल्लिनाथ जी
स्वामी जी | श्री नमिनाथ जी 22. | श्री नेमिनाथ जी | श्री पार्श्वनाथ जी
श्री महावीर स्वामी जी
पूर्वभवों की संख्या | पूर्वभव का नाम तेरह (13)
वज्रनाभ चक्री तीन (3)
विमलवाहन तीन (3)
विपुलवाहन तीन (3)
महाबल तीन (3)
अतिबल (पुरुषसिंह) तीन (3)
अपराजित तीन (3)
नंदीषण सात (7) या आठ (8) पद्मराज तीन (3)
महापद्म तीन (3)
पद्मनरपति तीन (3)
नलिनीगुल्म तीन (3)
पद्मोत्तर
पद्मसेन तीन (3)
पद्मरथ तीन (3)
दृढरथ बारह (12)
मेघरथ तीन (3)
सिंहावह तीन (3)
धनपति तीन (3)
वैश्रमण नौ (9) या तीन (3) श्रीवर्मा (शूरश्रेष्ठ) तीन (3)
सिद्धार्थ
सुप्रतिष्ठ (शंख) दस (10)
आनन्द (सुबाहु) सत्ताईस (27)
नन्दन ऋषि
तीन (3)
नौ (9)
विशेष: जीव के भवों की गिनती सम्यक्त्व प्राप्ति के बाद से ही की जाती है जब उसका अधिकतम
पौन पुद्गल परावर्तन काल शेष होता है। तीर्थंकर भगवंतों की आत्माएँ 'जो होवे मुझ शक्ति इसी, सवि जीव करूँ शासनरसी' के भाव से तीर्थंकरत्व प्राप्त करती हैं।