________________
उवसग्गहरं सूत्र
:
WEDN
सूत्र परिचय
उपसर्गों का हरण करनेवाला यह एक अति महिमावंत सूत्र है । जैन शास्त्रों की प्रथानुसार प्राकृत भाषा में बहुत श्लोकों से बने हुए मंत्रतुल्य सूत्रों को 'स्तोत्र'" कहा जाता है, अतः यह सूत्र भी एक स्तोत्र है ।
इस विषमकाल में धर्ममार्ग अनेक विघ्न और उपसर्ग से भरा हुआ है। विघ्न आए तब आर्त्तध्यानादि अशुभ ध्यान का निवारण करने एवं धर्ममार्ग को निष्कंटक बनाने के लिए इस स्तोत्र का स्मरण, जाप, ध्यानादि श्रेष्ठ उपाय है । इसलिए 'उवसग्गहरं' उपसर्गों को हरण करनेवाला ऐसा इसका नाम 'यथा नाम तथा गुणाः ' इस उक्ति के अनुसार सार्थक हुआ है
श्री पार्श्वनाथ भगवान की पुण्य प्रकृति विशिष्ट है। बीती हुई उत्सर्पिणी से उनकी पूजा - भक्ति चली आ रही है । उनके अधिष्ठायक देव आज भी जागृत हैं। इन सभी कारणों को ध्यान में लेकर इस स्तोत्र में विशेष प्रकार से पार्श्वनाथ भगवान की और उनके साथ-साथ उनके प्रति अत्यंत भक्ति भाववाले श्री धरणेंद्र और पद्मावती देवी की भक्ति - स्मृति की गई है ।
1. स्तोत्रं तु बहु लोकमानं - पंचाशक
पाययभासाबद्धं थोत्तं । - चैत्यवंदन महाभाष्य
1