________________
१२ : श्रमण, वर्ष ५८, अंक १ / जनवरी-मार्च २००७
की कुल ६६ लघु या मध्यम आकार की पुस्तकें हैं। उनका अधिकृत संस्करण ३९७ ई० में स्वीकृत किया गया। दूसरी से चौथी सदी के बीच इसके तत्कालीन भाषाओं में अनुवाद हुए। अनेक विघ्न-बाधाओं को पार करते हुये १४- १६वीं सदी के बीच इसका अंग्रेजी तथा जर्मन में अनुवाद हुआ। अब तो इसका अनुवाद विश्व की लगभग ३३० भाषाओं में हो गया है और प्राय: ६०० अन्य भाषाओं में इसका अनुवाद और हो रहा है। इसीलिये यह विश्वव्यापी प्रचार पा रहा है।
विभिन्न ग्रन्थों से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर यह कहा जा सकता है कि एक ओर जहाँ महावीर और जीसस के द्वारा युगानुकूलित धर्मों में पर्याप्त समानतायें हैं, वहीं दूसरी ओर पर्याप्त विभिन्नतायें भी हैं। समानताओं के आधार निम्न हैंअ. जीवन-चरित में समानता
१. दोनों ही राजकुलीन वंश के हैं।
२. दोनों का ही पूर्वी देशों में जन्म हुआ है।
३. इनकी मान्यतायें पूर्वी देशों के एक ही भू-भाग का आध्यात्मिक चरित्र लिये हुए हैं।
४. दोनों ने ही धर्म-सुधार और आत्मधर्म के प्रचार का कष्टकारी मार्ग
अपनाया।
५. दोनों ने विवाह नहीं किया। (जैनों का श्वेताम्बर सम्प्रदाय महावीर का विवाह मानता है | )
६. दोनों ने साधु के समान एकाकीपन एवं सार्वजनिक जीवन अपनाया।
७. दोनों ने ही प्रार्थना, ध्यान एवं एकाकीपन का अभ्यास कर रिद्धि-सिद्धि पाई। दोनों ने ही पश्चाताप (प्रायश्चित्त), क्षमा और ध्यान (आत्म / ईश्वर प्रेम) का उपदेश दिया।
८. दोनों ने ही परम्परागत पर विकृत अनेक धार्मिक या सामाजिक मान्यताओं का युगानुकूलन किया। इनमें पुरोहितवाद एवं हिंसा प्रधान क्रियाकाण्डों का विरोध समाहित है।
९. दोनों ने ही तलाक और व्यभिचार का विरोध किया, पर स्त्री को पुरुष से हीन ही माना। मुक्ति पुरुष को ही हो सकती है ।
१०. दोनों ही पर - मत मानने वालों को शाप देते हैं, उन्हें मिथ्यात्वी या शत्रु
मानते हैं।