Book Title: Sramana 2007 01
Author(s): Shreeprakash Pandey, Vijay Kumar
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 163
________________ १५६ : श्रमण, वर्ष ५८, अंक १/जनवरी-मार्च २००७ का शुभारम्भ हुआ, जिसका विषय था - 'सामाजिक जीवन में अहिंसा का महत्त्वा' व्याख्यानमाला का उद्घाटन डॉ० रघुवंश प्रसाद सिंह, ग्रामीण विकास मंत्री, भारत सरकार ने दीप प्रज्वलित कर किया। उद्घाटन भाषण में मंत्री महोदय ने कहा कि आज अहिंसा के महत्त्व को समझने की जरूरत है, क्योंकि अहिंसा को अपने जीवन में अपनाये बिना हमारा जीवन सुख-शांतिमय नहीं हो सकता। उन्होंने संस्थान की उन्नति के लिए पूर्ण सहयोग देने का आश्वासन दिया। व्याख्यानमाला को सम्बोधित करते हुए लालगंज क्षेत्र के पूर्व विधायक श्री योगेन्द्र प्रसाद साहू ने कहा कि अहिंसा के बिना प्राणीमात्र सुरक्षित नहीं रह सकता, इसीलिए भगवान महावीर की अहिंसा सब के लिए अपनाना आवश्यक है। संस्थान के निदेशक डॉ० ऋषभचन्द्र जैन ने विषय प्रवर्तन करते हुए अहिंसा की उपयोगिता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि लोग अहिंसा को निषेधात्मक मानकर व्याख्यायित करते हैं। यदि अहिंसा निषेधात्मक होती तो मनुष्य अधिक समय तक शांतिपूर्वक रह नहीं पाता, जबकि देखा जाता है कि मनुष्य हिंसक आचरण करते हुए अधिक समय तक रह नहीं सकता, इससे पता चलता है कि अहिंसा प्राणी का स्वभाव है और हिंसा बाह्य संसर्ग से प्राप्त होनेवाला विभाव है। मुख्य वक्ता के रूप में दर्शनशास्त्र के प्रख्यात विद्वान् एवं इण्डियन फिलोसिफीकल काँग्रेस के कोषाध्यक्ष एस०एन० चौधरी ने कहा कि व्यक्ति से मिलकर समाज बनता है, वह समाज समरसता के कारण ही उन्नत हो सकता है। समाज एवं सामाजिक जीवन की पूर्णता अहिंसा में निहित है। यदि हमें मानव जीवन को समुनत करना है तो अहिंसावृत्ति को अंगीकार करना होगा। प्रसिद्ध विद्वान् डॉ० रंजन सूरिदेव ने कहा कि भारतीय संस्कृति की समग्रता अहिंसा सिद्धान्त में निहित है। भारतीय संस्कृति की प्रत्येक इकाई ने अहिंसा की व्यापक व्याख्या की है। किन्तु भगवान महावीर ने अहिंसा की जैसी व्याख्या प्रस्तुत की है, वैसा अन्यत्र दुर्लभ है। संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ० डी०एन० शर्मा ने कहा कि जैनधर्म की अहिंसा का वैशिष्ट्य देखते ही बनता है, क्योंकि अहिंसा के बिना प्राणीमात्र अथवा मानव जीवन का कोई मूल्य नहीं है। लंगट सिंह कालेज के दर्शन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ० आर०के० सिंह ने अहिंसा के सिद्धान्त को विशाल एवं ऋषि विराट् बताया। डॉ० सी०पी० सिन्हा ने अहिंसा से होनेवाले विभिन्न लाभों की चर्चा की। डॉ० शैल कुमारी सिन्हा ने कहा कि अहिंसक जीवन-पद्धति को अपनाये बिमा प्राणी अधिक समय तक अपने अस्तित्व को सुरक्षित नहीं रख सकता है।

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