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आगमों में अनगार के प्रकार : परिव्राजक, तापस और आजीवक : ३७
उल्लेख सर्वप्रथम ‘व्याख्याप्रज्ञप्ति' में मिलता है। औपपातिकसूत्र के अनुसार २७ प्रकार के तापसों का स्वरूप इस प्रकार है
१. होतृक - अग्नि में हवन देने वाले ।
२. पोतृक - वस्त्र धारण करने वाले ।
वाले।
३. कौतृक जमीन पर सोने वाले, यज्ञ व श्राद्ध करने वाले, फल आदि भोजन करने वाले ।
४. उन्मज्जक
जल में एक बार डुबकी लगा कर नहाने वाले ।
५. सम्मज्जक
जल में बार-बार डुबकी लगाकर नहाने वाले । ६. निमज्जक - जल में कुछ देर तक डूबकी लगाकर नहाने वाले । ७. संप्रक्षालक - मिट्टी आदि के द्वारा शरीर को रगड़कर नहाने वाले ।
८. दक्षिणकूलक - गंगा के दक्षिणी तट पर निवास करने वाले । ९. उत्तरकूलक - गंगा के उत्तरी तट पर निवास करने वाले ।
१०. कूलध्यामक - तट पर खड़े होकर शब्द करते हुए भोजन करने वाले। ११. मृगलुब्धक - व्याधों की भाँति हिरणों का माँस खाकर जीवनयापन करने वाले ।
१२. हस्तीतापस हाथी का वध करके महीनों तक उसका माँस खाने
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१३. उद्दण्डक - दण्ड को ऊँचा करके धूमने वाला।
१४. दिशाप्रेक्षी - दिशाओं में जल छिड़ककर फलफूल इकट्ठे करने वाले तथा वृक्ष की छाल को वस्त्रों की भाँति धारण करने वाले ।
१५. बिलवासी - भूगर्भगृहों में या गुफाओं में निवास करने वाले । १६. वेलवासी समुद्र तट के समीप निवास करने वाले ।
१७. जलवासी - जल में निवास करने वाले।
१८. वृक्षमूलक वृक्षों की जड़ में निवास करने वाले ।
१९. अम्बुभक्षी - जलाहार करने वाले ।
२०. वायुभक्षी - आहार के रूप में वायु ग्रहण करने वाले ।
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