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तीस वर्ष और तीन वर्ष : २९
अतिवादी संकेत आज उसे लुभावने नहीं रह गये हैं और न ही आज लोग अनेक कठोर नियम पालना चाहते हैं। वे मध्यममार्गी बने रहना चाहते हैं। सामान्य जन के लिये पूर्णतः कषाय-त्याग, परिग्रह-त्याग, पूर्ण करुणा या सहानुभूति सम्भव नहीं है। त्याग और करणीय में कुछ समन्वय की आवश्यकता है। महावीर का अनेकांत इस दृष्टि से पर्याप्त दिशाप्रेरक है। उसके अनुसार, किसी भी प्रक्रिया में शुभता हो, वह विवेकपूर्वक करना चाहिये। महावीर ने 'कीजे शक्ति समान, शक्ति बिना सरधा धरे' का लचीला उपदेश देकर मानव जाति को अधिकाधिक नैतिक बनने का संदेश दिया है। यही कारण है कि अधिकांश मात्रा में आज भी जैन अपनी नैतिकता के लिये प्रसिद्ध हैं।
____ महावीर के उपदेशों में व्यक्तित्व विकास के लिये श्रम, समता एवं स्वावलम्बन की धारणायें समाहित हैं जो व्यक्ति को स्वतंत्रचेता, कर्ता एवं भोक्ता बनाती हैं। वर्तमान युग भी व्यक्ति-स्वातंत्र्य का युग है। शिक्षा-प्रसार से व्यक्ति अपने हित-अहित का विचार कर सकता है। महावीर ने बहुत पहले ही परीक्षा-प्रणाली बनाकर सापेक्ष दृष्टि से सदाचार पालन के उपदेश दिये थे, जो आज अनुप्रयुक्त हो रहे हैं। इससे उसके अति-व्यक्तिवाद पर नियंत्रण होता है। उन्होंने व्यक्ति को स्वयं का भाग्यविधाता कहकर उसे ईश्वर के अनुग्रह या क्रोध की विडम्बना से मुक्त किया। तथापि, आधुनिक तनावशील वातावारण में व्यक्ति किंचित् क्षुब्ध है। अत: वह आध्यात्मिकता की ओर मुड़ने को बाध्य हो रहा है जिससे उसमें अंत:शक्ति एवं समुचित सामर्थ्य विकसित हो।
महात्मा ईसा ने विश्व की अनेक भावी (और अब वर्तमान) समस्याओं के समाधान के लिये महावीर के समान बुद्धिसंगत उपदेश तो नहीं दिये, पर करुणा एवं सहानुभूति के माध्यम से उन्होंने ऐसी विषम स्थितियों पर अपनी अप्रसन्नता व्यक्त की है एवं इन सदाचारपरक इच्छाइयों से वर्तमान की अनेक समस्याओं पर विजय पाने का संकेत दिया है, पर उसके लिये व्यवस्थित रूप से उपदेश नहीं दिया। उन्होंने मात्र ईश्वर में विश्वास के आधार पर स्वर्णिम भविष्य के आशावाद की झांकी दिखाई एवं मानव जाति को प्रलय से बचाने का उपक्रम सिखाया।
इस प्रकार हम देखते हैं कि महावीर ने बुद्धिसंगत विश्वास तथा सदाचार (व्रत आदि) के आधार पर वर्तमान समस्याओं के समाधान हेतु जो व्यापक और प्रेरक आदेश दिये हैं, उनकी तुलना में महात्मा ईसा के संकेत अति संक्षिप्त हैं और गूढ़ भाषा में हैं। इनका विस्तार आवश्यक है।