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छक्खंडागमे संतकम्म
कालो जहण्णेण एगसमओ। कुदो? अदुवोदयादो। उक्कस्सेण अंतोमुहत्तं । एवं णिद्दापयलाणं पि वत्तव्वं । सादस्स जहण्णएण एयसमओ, उक्कस्सेण छम्मासा । असादस्स जहण्णएण एगसमओ, उक्कस्सेण तेत्तीससागरोवमाणि अंतोमुहत्तब्भहियाणि । कुदो? सत्तमपुढविपवेसादो पुव्वं पच्छा च असादस्स अंतोमुत्तमेत्तकालमुदीरणुवलंभादो।
हस्स-रदीणं कालो जहण्णण एगसमओ, उक्कस्सेण छमासा। अरदि-सोगाणं जहण्णेण एगसमओ, उक्कस्सेण तेत्तीससागरोवमाणि अंतोमुहुत्तब्भहियाणि। मिच्छतस्स तिण्णि भंगा-जो सो सादिओ सपज्जवसिदो तस्स जहणेण अंतोमुहुत्तं, उक्कस्सेण उवड्ढपोग्गलपरियट्टं। सम्मत्तस्स जहण्णेण अंतोमुत्तं, उक्कस्सेण छावद्धिसागरोवमाणि आवलियूणाणि । सम्मामिच्छत्तस्स जहण्णेण उक्कस्सेण वि अंतोमुहत्तं । सम्मत्त-मिच्छत्तसम्मामिच्छताणं जहण्णगो उदीरणकालो तल्लो। सम्मामिच्छत्तस्स उक्कस्सउदीरणकालो विसेसाहिओ। अणंताणुबंधिकोधस्स उदीरणकालो जहणेण एगसमओ, उक्कस्सेण अंतोमुहत्तं। एवं माण-माय-लोभाणं पि वत्तव्वं । जहा अणंताणुबंधीणं तहा अपच्चवखाणचउक्क-पच्चक्खाणचउक्काणं पि वत्तव्वं । कोहसंजलणाए जहणेण एगसमओ, उक्कस्सेण अंतोमुहत्तं । एवं माण-माया-लोभसंजलणाणं वत्तत्वं । भय-दुगुंछाणं जहण्णेण
क्योंकि, ये अध्रुवोदयी प्रकृतियां हैं। उनकी उदीरणाका काल उत्कर्षसे अन्तर्मुहुर्त प्रमाण है। इसी प्रकारसे निद्रा और प्रचला इन दो प्रकृतियोंके उदीरणाकाल कथन करना चाहिये। सातावेदनीयकी उदीरणाका काल जघन्यसे एक समय और उत्कर्षसे छह मास है। असातावेदनीयकी उदीरणाका काल जघन्यसे एक समय और उत्कर्षत: अन्तर्महुर्तसे अधिक तेतीस सागरोपम प्रमाण है, क्योंकि, सातवीं पृथिवी में प्रवेश करनेसे पूर्व और पश्चात् अन्तर्मुहुर्त मात्र काल तक असातावेदनीयकी उदीरणा पायी जाती है ।
हास्य व रतिका काल जघन्यसे एक समय और उत्कर्षसे छह मास है। अरति और शोकका काल जघन्यसे एक समय और उत्कर्षतः अन्तर्मुहूर्तसे अधिक तेतीस सागरोपम प्रमाण है। मिथ्यात्वके उदीरणाकालकी प्ररूपणामें तीन भंग हैं- उनमें जो सादि-सपर्यवसित है उसका काल जघन्यसे अन्तर्मुहूर्त और उत्कर्षसे उपाधं पुद्गलपरिवर्तन है। सम्यक्त्व प्रकृतिका काल जघन्यसे अन्तर्मुहूर्त और उत्कर्षसे आवलीसे कम छयासठ सागरोपम प्रमाण है। सम्यग्मिथ्यात्वका काल जघन्यसे और उत्कर्षसे भी अन्तर्मुहूर्त मात्र है । सम्यक्त्व, मिथ्यात्व और सम्यग्मिथ्यात्व इन तीनों प्रकृतियोंका जघन्य उदीरणाकाल समान है। सम्यग्मिथ्यात्वका उत्कृष्ट उदी रणाकाल उससे विशेष अधिक है । अनन्तानुबन्धी क्रोधका उदीरणाकाल जघन्यसे एक समय और उत्कर्षसे अन्तर्मुहूर्त है। इसी प्रकारसे अनन्तानुबन्धी मान, माया और लोभके भी उदीरणाकालका कथन करना चाहिये । जैसे अनन्तानुबन्धी कषायोंके उदीरणाकालकी प्ररूपणा की गई है वैसे ही अप्रत्याख्यानचतुष्क और प्रत्याख्यानचतुष्कके भी उदीरणकालकी प्ररूपणा करना चाहिये । संज्वलन क्रोधका उदीरणाकाल जघन्यसे एक समय और उत्कर्षसे अन्तर्मुहुर्त प्रमाण है। इसी प्रकार संज्वलन मान, माया और लोभके उदीरणाकालका कथन करना चाहिये । भय और जुगुप्साका
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