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उवक्कमाणुयोगद्दारे अणुभागउदीरणा
( २११ तं जहा-- आभिणिबोहियणाणावरणीयस्स उक्कस्समुदीरेंतो सुदणाणावरणस्स उक्कस्समणुक्कस्सं वा उदीरेदि । जदि अणुवकरसं, छट्ठाणपदिदं । एवमोहिणाणावरणीय-मणपज्जवणाणावरणीय-केवलणाणावरणीयाणं पि वत्तव्वं । सेसचदुण्णं आभिणिबोहियणाणावरणीयभंगो।
चक्खुदंसणावरणीयस्स उक्कस्समुदीरेंतो अचक्खु-ओहि-केवलदसणावरणाणं णियमा अणुक्कस्समुदीरेदि अणंतगुणहीणं । अचक्खुदंसणावरणस्स उक्कस्साणुभागमुदीरेंतो सेसाणं तिण्णं पि णियमा अणंतगुणहीणमुदीरेदि। सेसपंचण्णं दसणावरणीयाण णियमा अणुदीरओ । ओहिदसणावरणस्स उक्कस्साणुभागं उदीरेंतो पंचण्णं दंसणावरणीयाणं उदीरओ। केवलदसणावरणस्स* णियमा, तं तु छट्ठाणपदिदं । सेसाणं दोण्णं दंसणावरणीयाणं णियमा अणुक्कस्साणुभागस्स अणंतगुणहीणस्स उदीरओ। केवलदसणावरणीयस्स ओहिदसणावरणभंगो। णिहाए उक्कस्साणुभागमुदीरेंतो दंसणावरणचउक्कस्स णियमा अणतगुणहीणमुदीरेदि । सेसाणं चदुण्णं दंसणावरणीयाणं णियमा अणुदीरओ। सेसचदुण्णं दंसणावरणीयाणं णिहाए भंगो। है । यथा- आभिनिवोधिकज्ञानावरणके उत्कृष्ट अनुभागकी उदीरणा करनेवाला श्रुतज्ञानावरणके उत्कृष्ट और अनुत्कृष्ट अनुभागकी उदीरणा करता है । यदि अनुत्कृष्ट अनुभागकी उदीरणा करता है तो षट्स्थानपतितकी करता है । इसी प्रकार अवधिज्ञानावरण, मनःपर्ययज्ञानावरण और केवलज्ञानावरणके सम्बन्धमें भी कहना चाहिये । शेष चार ज्ञानावरण प्रकृतियोंकी मुख्यतासे संनिकर्षकी प्ररूपणा आभिनिबोधिक ज्ञानावरणके समान है।
___ चक्षुदर्शनावरणके उत्कृष्ट अनुभागकी उदीरणा करनेवाला अचक्षुदर्शनावरण, अवधिदर्शनावरण और केवलदर्शनावरणके नियमसे अनन्तगुणे हीन अनुत्कृष्ट अनुभागकी उदीरणा करता है । अचक्षुदर्शनावरणके उत्कृष्ट अनुभागकी उदीरणा करनेवाला शेष तीनों ही प्रकृतियोंके नियमसे अनन्तगुणे होन अनुभागकी उदीरणा करता है । वह शेष पांच दर्शनावरण प्रकृतियोंका नियमसे अनुदीरक होता है । अवधिदर्शनावरणके उत्कृष्ट अनुभागकी उदीरणा करनेवाला निद्रा आदि पांच दर्शनावरण प्रकृतियोंका ( कदाचित् ) उदीरक होता है । केवलदर्शनावरणका नियमसे उदीरक होता हुआ षट्स्थानपतितका उदीरक होता है। शेष दो दर्शनावरण ( चक्षुदर्शनावरण व अचक्षुदर्शनावरण ) प्रकृतियोंका उदीरक होकर वह नियमसे उनके अनन्तगुणे हीन अनुत्कृष्ट अनुभागका उदीरक होता है । केवलदर्शनावरणके संनिकर्षकी प्ररूपणा अवधिदर्शनावरणके समान है । निद्राके उत्कृष्ट अनुभागकी उदीरणा करनेवाला चक्षुदर्शनावरणादि चार दर्शनावरण प्रकृतियोंके नियमसे अनन्तगुणे हीन अनुभागका उदीरक होता है । शेष चार दर्शनावरण प्रकृतियोंका वह नियमसे अनुदीरक होता है । प्रचला आदि शेष चार दर्शनावरण प्रकृतियोंके संनिकर्षकी प्ररूपणा निद्रा दर्शनावरणके समान है।
सातावेदनीयकी उदीरणा करनेवाला असातावेदनीयका नियमसे अनुदीरक होता है। इसी प्रकार असाताके भी सम्बन्धमें कहना चाहिये ।
* अप्रतौ 'केवलदंपणावरणं' काप्रसौ 'केवलदंसगावरगे', तापतौ 'केवनदंगावर. 'इति पारः। ताप्रतौ '-पदिदा' इति पाठः। For Private &Personal use only
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JainEducation inteताप्रती '-पदिदा' इति पाठः।