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उवक्कमाणुयोगद्दारे रिपरिणामोववकमो
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उत्तरपडिविपरिणामणा त्ति । तत्थ मूलपयडिविपरिणामणा दुविहा देसविपरिणामणा सव्वविपरिणामणा चेदि । एत्थ अट्ठपदं--जासि पयडीणं देसो णिज्जरिज्जदि अधट्ठिदिगलणाए सा देसपयडिविपरिणामणा णाम । जा पयडी सव्वणिज्जराए णिज्जरिज्जदि सा सव्वविपरिणामणा णाम। एदेण अट्टपदेण मूलपयडिविपरिणामणाए सामित्तं कालो अंतरं णाणाजीवेहि भंगविचओ कालो अंतरं सण्णियासो विपरिणामयाणमप्पाबहुअं च णेयत्वं । भुजगारो पदणिक्खेवो वड्ढी च एत्थ णस्थि ।।
उत्तरपयडिविपरिणामणाए अट्टपदं । तं जहा--णिज्जिण्णा पयडी देसेण सव्वणिज्जराए वा, अण्णपयडीए देससंकमणेण वा सन्वसंकमणेण वा जा संकमिज्जदि एसा उत्तरपयडिविपरिणामणा णाम । एदेण अट्ठपदेण सामित्तं कालो अंतरं णाणाजीवेहि भंगविचओ कालो अंतरं सण्णियासो विपरिणामयाणमप्पाबहुअं च कायव्वं । भुजगारो पदणिक्खेवो वड्ढी च णत्थि । पुणो पयडिठ्ठाणविपरिणामणा परूवेयव्वा । एवं पयडिविपरिणामणा समत्ता।
द्विदिविपरिणामणाए अट्ठपदं--द्विदी ओवट्टिज्जमाणा वा उव्वट्टिज्जमाणावा अण्णं पर्याडं संकामिज्जमाणा वा विपरिणामिदा* होदि । एदेण अट्ठपदेण जहा ठिदिसंकमो तहा अविसेसेण द्विदिविपरिणामणा कायव्वा ।
विपरिणामना और उत्तरप्रकृतिविपरिणामना । उनमें मूलप्रकृतिविपरिणामना दो प्रकार है--देश विपरिणामना और सर्वविपरिणामना । यहां अर्थपद--जिन प्रकृतियोंका अधःस्थितिगलनके द्वारा एक देश निर्जराको प्राप्त होता है वह देशप्रकृतिविपरिणामना कही जाती है । जो प्रकृति सर्वनिर्जराके द्वारा निजराको प्राप्त होती है वह सर्वविपरिणामना कही जाती है । इस अर्थपदके अनुसार मूलप्रकृतिविपरिणामनाके स्वामित्व, काल, अन्तर, नाना जीवोंकी अपेक्षा भंगविचय, काल, अन्तर, संनिकर्ष और विपरिणामकोंके अल्पबहुत्वको भी ले जाना चाहिये। भुजाकार, पदनिक्षेप और वृद्धि यहां नहीं हैं।
उत्तरप्रकृति विपरिणामनामें अर्थपद । यथा-देशनिर्जरा अथवा सर्वनिर्जराके द्वारा निर्जीर्ण प्रकृति अथवा जो प्रकृति देशसंक्रमण या सर्वसंक्रमणके द्वारा अन्य प्रकृति में संक्रमणको प्राप्त करायी जाती है यह उत्तरप्रकृतिविपरिणामना कहलाती है । इस अर्थपदके अनुसार स्वामित्व, काल, अन्तर, नाना जीवोंकी अपेक्षा भंगविचय, काल, अन्तर, संनिकर्ष और विपरिणामकोंके अल्पबहुत्वको भी करना चाहिये । भुजाकार, पदनिक्षेप और वृद्धि यहां नहीं हैं । तत्पश्चात प्रकृतिस्थानविपरिणामनाकी प्ररूपणा करना चाहिये । इस प्रकार प्रकृतिविपरिणामना समाप्त हुई ।
स्थितिविपरिणामनामें अर्थपद--अपवर्तमान, उद्वर्तमान अथवा अन्य प्रकृतियोंमें संक्रमण करायी जानेवाली स्थिति विपरिणामिता । स्थितिविपरिणामना ) कहलाती है। इस अर्थपदके अनुसार जैसे स्थितिसंक्रम किया गया है वैसे ही निविशेष स्वरूपसे स्थितिविपरिणामनाको भी करना चाहिये ।
अ-काप्रत्योः ‘उवट्टिज्जमाणा', ताप्रतौ ' ( उ ) वड्ढि जमागा' इति पाठः । * अप्रतौ ‘विपरिणामदा' इति पाठः ।
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