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छक्खंडागमे संतकम्म
असंखेज्जा लोगा, सेसाणमसंखेज्जा पोग्गलपरियट्टा । तित्थयरणामाए जहण्णेण वासपुधत्तं, उक्कस्सेण पुव्वकोडी देसूणा । णीचागोदस्स जहण्णेण एगसमओ, उक्कस्सेण असंखेज्जा पोग्गलपरियट्टा । उच्चागोदस्स जहण्णेण एगसमओ अंतोमुहुत्तं वा, उक्कस्सेण सागरोवमसदपुधत्तं ।
__ सणावरणीयपंचयस्स जहण्ण-अजहण्णट्ठिदिउदीरणकालो जहण्णेण एगसमओ. उक्कस्सेण अंतोमुहुत्तं । बारसकसाय-भय-दुगुंछाणं जहण्णट्ठिदिउदीरणकालो अजहण्णटिदिउदीरणकालो च जहण्णेण एगसमओ, उक्कस्सेण अंतोमुहुत्तं । आदावुज्जोवाणं जहण्णढिदिउदीरणकालो जहण्णेण एगसमओ, उक्कस्सेण अंतोमुहुत्त। अजहण्ण द्विदिउदीरणकालो जहण्णण एगसमओ। उक्कस्सेण आदावणामाए बावीसं वाससहस्साणि देसूणाणि, उज्जोवणामाए तिण्णि पलिदोवमाणि देसूणाणि । एवं जहण्णट्ठिदिउदीरणा समत्ता। अंतराणुगमेण उक्कस्सटिदिउदीरणंतरं उच्चदे। तं जहा-पंचण्णं णाणावरणीयाणं छण्णं दंसणावरणीयाणं उक्कस्सटिदिउदीरणंतरं केवचिरं कालादो होदि? जहण्णण अंतोमुहुत्तं, उक्कस्सेण अणंतकालमसंखेज्जा पोग्गलपरियट्टा। अणुक्कस्सटिदिउदीरणंतरं जहण्णण एगसमओ, उक्कस्सेण अंतोमुहुत्तं । थोणगिद्धितियस्स उक्कस्सटिदिउदीरणंतरं समय है। उक्त काल उत्कर्षसे अयशकीर्तिका असंख्यात लोक तथा शेष दोका असंख्यात पुद्गलपरिवर्तन प्रमाण है। तीर्थंकर नामकर्मकी अजघन्य स्थितिकी उदीरणाका काल जघन्यसे वर्षपृथक्त्व और उत्कर्षसे कुछ कम पूर्वकोटि मात्र है। नीचगोत्रकी अजघन्य स्थितिउदीरणाका काल जघन्यसे एक समय और उत्कर्षसे असंख्यात पुद्गलपरिवर्तन प्रमाण है। उच्चगोत्रकी अजघन्य स्थिति-उदीरणाका काल जघन्यसे एक समय अथवा अन्तर्मुहुर्त और उत्कर्षसे सागरोपमशतपृथक्त्व प्रमाण है।
निद्रा आदिक पांच दर्शनावरणप्रकृतियोंकी जघन्य व अजघन्य स्थिति-उदीरणाका काल जघन्यसे एक समय और उत्कर्षसे अन्तर्मुहूर्त मात्र है। बारह कषाय, भय और जुगुप्साकी जघन्य स्थिति-उदीरणाका काल और अजघन्य स्थिति-उदीरणाका काल जघन्यसे एक समय और उत्कर्षसे अन्तर्मुहूर्त मात्र है। आतप व उद्योतकी जघन्य स्थिति-उदीरणाका काल जघन्यसे एक समय और उत्कर्षसे अन्तर्मुहूर्त मात्र है। उनकी अजघन्य स्थिति-उदीरणाका काल जघन्यसे एक समय है । उक्त काल उत्कर्षसे आतप नामकर्मका कुछ कम बाईस हजार वर्ष तथा उद्योत नामकर्मका कुछ कम तीन पल्योपम प्रमाण है। इस प्रकार जघन्य स्थिति-उदीरणा समाप्त हुई।
अंतरानुगमके द्वारा उत्कृष्ट स्थिति-उदीरणाके अंतरका कथन करते हैं। यथा- पांच ज्ञानावरण और छह दर्शनावरण प्रकृतियोंकी उत्कृष्ट स्थिति-उदीरणाका अन्तरकाल कितना है ? वह जघन्यसे अन्तर्मुहर्त और उत्कर्षसे असंख्यात पुद्गलपरिवर्तन रूप अनन्त काल प्रमाण होता है। उनकी अनुत्कृष्ट स्थिति-उदीरणाका अन्तर जघन्यसे एक समय और उत्कर्षसे अन्तमुहूर्त मात्र होता है। स्त्यानगृद्धि आदि तीन दर्शनावरणीय प्रकृतियोंकी उकृष्ट स्थिति-उदीरणाका
ताप्रती ' ( उक:०- ) ' इति पाठः ।
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