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उवक्कमाणुयोगद्दारे ट्ठिदिउदीरणा - ( १५३ जहण्णट्ठिदिउदीरणा विसेसाहिया, जट्ठिदि विसेसाहिया। ओरालिय-तेजा-कम्मइयाणं जहण्णट्ठिदिउदीरणा विसेसाहिया, जट्ठिदि विसेसाहिया। सादस्स जहण्णटिदिउदीरणा विसेसाहिया, ज०ट्ठिदि विसेसाहिया। असादस्स जहण्णट्ठिदिउदीरणा विसेसाहिया, जछिदि विसेसाहिया। पंचणाणावरणीय-चउदंसणावरणीय-पंचतराइयाणं जहणिया टिदिउदीरणा विसेसाहिया, ज.हिदि विसेसाहिया। इत्थिवेदस्स जहणिया द्विदिउदीरणा विसेसाहिया, ज०ट्ठिदि विसेसाहिया। हस्स-रदीणं जहण्णिया द्विदिउदीरणा विसेसाहिया, ज.दिदि विसेसाहिया। अरदि-सोगाणं जहण्णद्विदिउदीरणा विसेसाहिया, ज.दिदि विसेसाहिया। भय-दुगुंछाणं जहणिया ट्ठिदिउदोरणा विसेसाहिया, ज०ट्ठिदि विसेसाहिया। सोलसणं कसायाणं जहणिया टिदिउदीरणा तत्तिया चेव, जटिदिउदीरणा विसेसाहिया । सम्मामिच्छत्तस्स जहण्णट्ठिदिउदीरणा विसेसाहिया, ज०टिदि विसेसाहिया । दसणावरणपंचयस्स जहण्णट्ठिदिउदीरणा संखेज्जगुणा ज०टिदि विसेसाहिया। वेउब्वियसरीरणामाए उच्चागोदस्स च जहण्णट्ठिदिउदीरणा संखेज्जगुणा, ज. द्विदि विसेसाहिया। एवं पंचिदियतिरिक्खजोणिणी० जहण्णट्ठिदिउदीरणादंडओ समत्तो।
ज-स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है। औदारिक, तैजस और कार्मण शरीरोंकी जघन्य स्थितिउदीरणा विशेष अधिक है; ज-स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है। सातावेदनीयकी जघन्य स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है, ज-स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है। असातावेदनीयकी जघन्य स्थिति-उदी रणा विशेष अधिक है, ज-स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है। पांच ज्ञानावरण, चार दर्शनावरण और पांच अन्तरायकी जघन्य स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है, जस्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है। स्त्रीवेदकी जघन्य स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है, जस्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है। हास्य और रतिकी जघन्य स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है, ज-स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है। अरति और शोककी जघन्य स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है, ज-स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है। भय और जुगुप्साकी जघन्य स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है, ज-स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है। सोलह कषायोंकी जघन्य स्थितिउदीरणा उतनी मात्र ही है, ज-स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है। सम्यग्मिथ्यात्वकी जघन्य स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है, ज-स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है। सम्यक्त्व प्रकृतिकी जघन्य स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है, ज-स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है। निद्रा आदि पांच दर्शनावरण प्रकृतियोंकी जघन्य स्थिति-उदीरणा संख्यातगुणी है, ज-स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है। वैक्रियिकशरीर नामकर्म और उच्चगोत्रकी जघन्य स्थिति-उदीरणा संख्यातगणी है, ज-स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है। इस प्रकार पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिगतियोंमें जघन्य स्थिति-उदीरणादण्डक समाप्त हुआ।
ताप्रतौ — उदीरणसंकमो दंडओ' इति पाठः । Personal use Only
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