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छक्खंडागमे संतकम्म समत्तो । आदेसो जाणियूण वत्तव्यो । एवं कालो समत्तो ।
एयजीवेण अंतरं--पंचणाणावरणीय-चदुदंसणावरणीय-तेजा-कम्मइयसरीरवण्ण-गंध-रस-फास-अगुरुअलहुअ-थिराथिर-सुहासुह-णिमिण-पंचंतराइयाणमुदीरणाए अंतरं णत्थि, धुवोदयत्तादो। णिद्दा-पयलाणमंतरं जहण्णमुक्कस्सं पि अंतोमुहुत्तं । णिद्दाणिद्दा-पयलापयला-थीणगिद्धीणमंतरं जहण्णेण अंतोमुहत्तं, उक्कस्सेण तेत्तीसं सागरोवमाणि साहियाणि अंतोमुहुत्तेण । सादस्स जहण्णण एगसमओ, उक्कस्सेण तेत्तीसं सागरोवमाणि सादिरेयाणि । सादस्स गदियाणुवादेण जहण्णमंतरमंतोमुत्तं, उक्कस्सं पि अंतोमुहुत्तं चेव । असादस्स जहण्णमंतरमेगसमओ, उक्कस्सेण छम्मासा। मणुसगदीए असादस्स उदीरणंतरं जहण्णण एगसमओ, उक्कस्सेण अंतोमुहत्तं । मिच्छत्तस्स जहण्णमंतरं अंतोमुहत्तं, उक्कस्सेण बेछावट्ठिसागरोवमाणि सादिरेयाणि । सम्मत्त-सम्मामिच्छत्ताणं जहण्णमंतरं अंतोमुहुत्तं, उक्कस्सेण उवड्ढपोग्गलपरियढें देसूणं । अणंताणुबंधीणं जहण्णमंतरं अंतोमुहत्तं, उक्कस्सेण बेछावढिसागरोवमाणि सादिरेयाणि । अपच्चक्खाणकसायाणं जहण्णमंतरं अंतोमुहुत्तं, उक्कस्सेण पुव्वकोडी देसूणा। एवं चेव पच्चक्खाणावरणीयचदुक्कस्स वत्तव्वं । कोह-माण-मायासंजलणाणं
है। इस प्रकार ओघानुगम समाप्त हुआ। आदेशका कथन जानकर करना चाहिये । इस प्रकार काल समाप्त हुआ।
___ एक जीवकी अपेक्षा अन्तर--पांच ज्ञानावरणीय, चार दर्शनावरणीय, तैजस व कार्मण शरीर, वर्ण, गन्ध, रस, स्पर्श, अगुरुलघु, स्थिर, अस्थिर, शुभ, अशुभ, निर्माण और पांच अन्तराय' ; इनकी उदीरणाका अन्तर नहीं होता, क्योंकि, ये ध्रुवोदयी प्रकृतियां हैं। निद्रा और प्रचलाकी उदीरणाका अन्तरकाल जघन्य व उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त मात्र है । निद्रानिद्रा, प्रचलाप्रचला और स्त्यानगृद्धिका वह अन्तरकाल जघन्यसे अन्तर्मुहूर्त और उत्कर्षसे अन्वर्मुहूर्तसे अधिक तेतीस सागरोपम प्रमाण है । सातावेदनीयकी उदीरणाका अन्तरकाल जघन्यसे एक समय और उत्कर्षसे साधिक तेतीस सागरोपम प्रमाण है । गतिके अनुवादसे सातावेदनीयकी उदीरणाका अन्तरकाल जघन्य व उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त ही है । असातावेदनीयका जघन्य अन्तर एक समय और उत्कृष्ट छह मास प्रमाण है । मनुष्यगतिमें असाताकी उदीरणाका अन्तर जघन्यसे एक समय और उत्कर्षसे अन्तर्मुहूर्त प्रमाण है ।
मिथ्यात्वका जघन्य उदीरणा-अन्तरकाल अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट साधिक दो छयासठ सागरोपम प्रमाण है। सम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्वका वह अन्तर जघन्यसे अन्तर्मुहूर्त और उत्कर्षसे कुछ कम उपार्ध पुद्गलपरिवर्तन प्रमाण है । अनन्तानुबन्धी कषायोंका जघन्य अन्तर अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट साधिक दो छयासठ सागरोपम काल प्रमाण है । अप्रत्याख्यान कषायोंका जघन्य अन्तर अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट कुछ कम पूर्वकोटि प्रमाण है। इसी प्रकार ही प्रत्याख्यानावरणीयचतुष्कके अन्तरका कथन करना चाहिये । संज्वलन क्रोध, मान और मायाका जघन्य
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