Book Title: Samyag Gyanopasna Evam Sarasvati Sadhna
Author(s): Harshsagarsuri
Publisher: Devendrabdhi Prakashan

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Page 15
________________ माँ सरस्वती श्री सम्यग्ज्ञानोपासना विभाग बावजुद भी आज तक जिनशासन अमर है- जाज्वल्यमान है, इसका मुख्य कारण है- सम्यग्ज्ञान और सम्यग्चारित्र । २५०० साल पूर्व जिन सिद्धांतों की गणधर भगवंतोंने, प्रभु महावीर की आज्ञानुसार रचना की थी, वे सभी सिद्धांत आज तक हमें सही राह दिखा रहे है । उन सिद्धांत एवं शास्त्रों के कारण ही जिनशासन का सदा जयजयकार है । आत्मा का वास्तविक ज्ञान कराके जीवन की सही दिशा बतानेवाले श्री सम्यग्ज्ञान को हमारी अनंतशः वंदना ...! क्याँ, यह सत्य नहीं है... ? ज्ञानप्रेमी !... जहाँ सूरज और चाँद का प्रकाश नहीं पहुँचता, वहाँ छोटासा दीपक काम आता है । गुप्त अंधकार को दूर करने की शक्ति एक छोटेसे दीपक में होती है । एक दीपक से अनेक दीपक प्रगट हो सकते है । जरुरत है, सिर्फ एक टिमटिमाते दीपक की ... अरिहंत भगवान सूरज समान है और विशिष्ट पूर्वधर ज्ञानी गुरुदेव चंद्रमा समान है। इस कलियुग में न तो प्रत्यक्ष अरिहंत है और न हि पूर्वधर महापुरुष... २५०० वर्ष बीत जाने के पश्चाद् भी आज हमें जिनशासन एवं शास्त्रसिद्धांत की प्राप्ति बडी आसानी से होती जा रही है, कारण है टिम टिमाते दीपक समान गुरु भगवंतों के उपस्थिती की । हमारे पूर्वज ऋषि-महर्षियों ने एवं साधु-संतों ने प्रभु महावीर के शासन को तथा शास्त्र सिद्धांत की इस विशाल गंगोत्री को आगे बढाने अनंत कष्ट उठाये है । अगर यह महापुरुष न होते, तो हमें जिनशासन की प्राप्ति दुर्लभ हो जाती । हम वही अज्ञान रूपी अंधकार में भटकते रहते । शायद...हम बिलकुल बरबाद हो जाते । लेकिन नही ! ऐसा नहीं हुआ, क्योंकि हमारे महापुरुषों ने हम पर बड़ा उपकार किया है, हमें इस सम्यग्ज्ञान से परिचित रखा है ।

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