Book Title: Samyag Gyanopasna Evam Sarasvati Sadhna
Author(s): Harshsagarsuri
Publisher: Devendrabdhi Prakashan

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Page 119
________________ १०९ माँ सरस्वती श्री सरस्वती साधना विभाग हे वाग्देवी ! अनाचारी होते हुए भी अपने को गुरू कहलाने वाले कुगुरूओं को उनकी अपनी ही बातों में बांधकर निस्तर करने वाले, एकान्तवादियों के अहंकार को जीतने वाले, रोग दुःख और ऋणरूपी बन्धनों से मुक्त होकर हर्षित हुए, बहुविध साधु, साध्वी, श्रावक एवं श्राविकाओं के चतुर्विध संघ के लिए अपने गौरव से वृद्धि को प्राप्त एवं दशविध धर्म के लिए आपकी कृपा से जो साधक सिंह के समान विजय प्राप्त कर लेता है, ऐसे आपकी कृपा से प्राप्त सत्कार से उन्नत हुए साधक के पास, स्वतंत्र रही 'लक्ष्मी' स्वयं आती है। समाप्त ॐ नमो अरिहंताणं वद वद वाग्वादिनी स्वाहा। प्रस्तुत पुस्तक में ज्ञानाचार संबंधी जो भी लेख-काव्य-साधना विभाग को संग्रहीत किया गया है, उससे, पाठक-वर्ग सम्यग ज्ञान दशा को उजागर कर स्व-पर हित द्वारा समस्त विश्व का कल्याण करे इसी भावना के साथ जिनाज्ञा-शास्त्राज्ञा से विपरीत लिखा हो तो अतकरण से मिच्छामि दुक्कडं...

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