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माँ सरस्वती
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श्री सरस्वती साधना विभाग
एक विशिष्ट साधना 'ऐं नमः सवा लाख समुह जाप विधि
१) ३ नवकार से अष्टप्रकारी पूजा तक दैनिक विधि की तरह ही करें । २) पश्चाद्-प.पू. आ. श्री बप्पभट्टीसूरिजी महाराज विरचित 'श्री सारस्वत स्तोत्र' का पाठ करें ।
मूल मंत्र का दान करें ।
(शक्यतः) पद्मासन एवं योग मुद्रा अथवा ज्ञान मुद्रामें (समुह ) १०८ बार मूल मंत्र का जाप करे । साथ-साथ (चढावे बोलने वाले) साधक द्वारा सरस्वती-मूर्ति अथवा यंत्र पर श्रेष्ठ १०८ कमल के पुष्पों द्वारा मंत्र जाप दौरान पुष्प-पूजा कराये ।
५) पश्चाद्-सरस्वती जाप पूर्व की मांत्रिक विधि करे ।
६) अगर १२५ साधक है तो सभी को १००८ श्वेत पुष्प (पुष्प न तो वासक्षेप ) एवं सरस्वती यंत्र अथवा फोटो दिया जाए। (मूल मूर्ति अथवा यंत्र की पुष्प-पूजा का चढ़ावा हो सकता है ।)
७) समुह में 'ऐं नम:' का जाप करते-करते १००८ पुष्पों द्वारा यह अनुपम साधना कर सकते है ।
(जितने साधक उपस्थित हो, ध्यान में रखकर जप संख्या एवं पुष्प संख्या निश्चित करे ।)
पश्चात् शक्य हो तो-सं. ज्ञान की स्तुति काउसग्ग-खमासमण की विधि करे । सभी साधकोंको सरस्वती माताजी का लाल दोरा दे सकते है । (१ साधक को १ ही दोरा देना) ।
१०) १ नवकार एवं भक्तामर ही ६ठ्ठी गाथा १ बार तथा सरस्वती माताका १ मूल मंत्र जाप करके १ गठान बांधे । इसी क्रम से २७ बार मंत्र जाप तथा २७ गंठान बांधे । ख्याल रखे हर वक्त मंत्र पूर्णहूति के बाद २७ डंके बजाये । ११) २७ गठान बांधने के पश्चाद् इस दोरे को संपुट मुद्रामें (बाया (Left) हाथ नीचे, दाया (Right) हाथ उपर बीचमें दोरा । दोनों हाथों को हृदय के पास रखकर, आंखे बंदकर के शुभ संकल्प पूर्वक ३ नवकार महामंत्र का जाप करे । १२) पुनः गंभीर नादसे एवं भाव से एकाग्रता पूर्वक (१०८) अथवा २७ बार 'ऐं नमः' का जप करे ।