Book Title: Samyag Gyanopasna Evam Sarasvati Sadhna
Author(s): Harshsagarsuri
Publisher: Devendrabdhi Prakashan
View full book text
________________
। ८९
८९
माँ सरस्वती
श्री सरस्वती साधना विभाग . मंदीर भव्य निरखी बनी मुग्ध भावे,
त्यां भुपति भरतनी कृति याद आवे | कैलाश मेघ जल वादळथी छवायो,
तुषारनी धवल चादरमां छुपायो ||२८|| . ए निरखी भगवती गिरनार आवी, सिद्धोतणी शुचि धरा मन खुब भावी । चंदा तणी धवल शीतल चांदनी मां, बेसी वीणा कर ग्रहे मधु रागणीमां ||२९।।
गाती प्रसन्न वदना शुभ गान प्यारु, संगीत भक्ति रसथी भरपूर तारुं । भावे विभोर बनती अति दिव्यगाने,
पामे समाधि क्षणमा सघळु विरामे ||३०|| तुं ज्ञानमूर्ति ! अति कोमल भाव धारे, भक्तो तणां सकल संकटने निवारे | आपे सदा परम सुंदर दिव्य ज्ञान, आत्मा तणुं मनुजने निज थाय भान ॥३१।। . हे शारदा ! भगवति ! करुणा बतावो,
भुली गयो ज पथ हं पथ तो बतावो । मुक्ती तणो परम बोध प्रकाश आपो,
संसार बंधन तणा दुःख सर्व कापो ||३२।। . आ जन्मने मरणनां दुःखने निवारो,
नावि बनी भगवती ! भव सिंधू तारो | नौका फंसी भमरमां न मळे किनारो, कृपा करो भगवती डुबती उगारो ||३३।। • अश्रूभर्या नयनमां तुजने पुकारुं,
छुपी कहाँ भगवती तुजने न भाळू | हं शोधतो भगवती सघळी दिशामां, विहार-बाग वन सुंदर वाटिकामां |३४||

Page Navigation
1 ... 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122