Book Title: Samyag Gyanopasna Evam Sarasvati Sadhna
Author(s): Harshsagarsuri
Publisher: Devendrabdhi Prakashan
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माँ सरस्वती
७४
श्री सरस्वती साधना विभाग
शार्दूल
( राग : अर्हन्तो भगवंत इंद्र...)
• रे रे लक्षण काव्य नाटक तथा, चम्पू समा लोकने क्वायासं वितनोषि बालिश मुधा, किं नम्र वक्त्रा म्बुजः । भक्त्या राधय मन्त्र राज सहितां, दिव्य प्रभां भारतीं येनत्वं कविता वितान सविता, द्वैत प्रबुद्धायसे
"
• चंच च्चन्द्रमुखी प्रसिद्ध महिमा, स्वाच्छन्द्य राज्य प्रदाः Sनायासेन सुरासुरेश्वर गणै, रभ्यर्चिता भक्तितः । देवी संस्तुत वैभवा मलयजा, लेपांग रंग द्युतिः सा मां पातु सरस्वती भगवती, त्रैलोक्य संजीवनी स्तवनमेतदनेक गुणान्वितं पठति यो भविकः प्रमनाः प्रगे । स सहसा मधुरैर्वचनामृतै र्नृपगणानपि रञ्जयति स्फुटम् । इति सरस्वती स्तवः सम्पूर्णः ।
प्रभावी मंत्र : ॐ ह्रीँ क्लीँ ब्लूँ श्रीँ हसकल ह्रीँ मेँ नमः ||
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मंत्र गर्भित श्री सरस्वती स्तोत्र
ॐ ऐं ह्रीँ श्रीँ मंत्ररुपे, विबुध जन नुते, देव देवेन्द्र वंद्ये, चंच च्चंद्रा वदाते, क्षिपित कलि मले, हार नीहार गौरे । भीमे भीमाट्ट हास्ये, भव भय हरणे, भैरवे भीम वीरे, हाँ ह्रीँ हूँ कार नादे, मम मनसि सदा, शारदे देवि ! तिष्ठ
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॥१३॥
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हा पक्षे बीज गर्भे, सुर वर रमणी, चर्चिता नेकरूपे, कोपं वं झं विधेयं, धरित धरि वरे, योग नियोग मार्गे । हं सं सः स्वर्ग राजं, प्रति दिन नमिते, प्रस्तुता लाप पाठे,. दैत्येन्द्रै र्ध्यायमाने, मम मनसि सदा, शारदे देवि ! तिष्ठ ॥२॥ दैत्यै र्दैत्यारि नाथै, र्नमित पद युगे, भक्ति पूर्व स्त्रि सन्ध्यम्, यक्षैः सिद्धैश्च नम्रै, रह मह मिकया, देह कान्तिश्च कान्तिः । आँ इँ ॐ विस्फुटाभा, क्षर वर मृदुना, सुस्वरेणा सुरेणात्यन्तं प्रोद्गीय माने, मम मनसि सदा, शारदे देवि ! तिष्ठ
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