Book Title: Samyag Gyanopasna Evam Sarasvati Sadhna
Author(s): Harshsagarsuri
Publisher: Devendrabdhi Prakashan

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Page 40
________________ ३० माँ सरस्वती श्री सम्यग्ज्ञानोपासना विभाग सम्यगज्ञानके ५ खमासमणे. १) समकित श्रद्धावंतने, उपन्यो ज्ञान प्रकाश, प्रणमुं पदकज तेहना, भाव धरी उल्लास, ॐ ह्रीँ श्री मतिज्ञानाय नमो नमः । इच्छामि खमा० २) पवयण श्रुत सिद्धांत ए, आगम-समय वखाण, पूजो बहुविध रागथी, चरण कमल चित्त आण. ॐ ह्रीँ श्री श्रुतज्ञानाय नमो नमः । इच्छामि खमा० ३) उपन्यो अवधिज्ञाननो, गुण जेहने अविकार, वंदना तेहने माहरी, श्वासमांहे सो वार, ॐ ह्रीँ श्री अवधिज्ञानाय नमो नमः । इच्छामि खमा० ४) ए गुण जेहने उपन्यो, सर्व विरती गुण ठाण, प्रणमुं हितथी तेहना, चरण कमल चित्त आण. ॐ ह्रीँ श्री मनः पर्यवज्ञानाय नमो नमः । इच्छामि खमा० ५) परम ज्योति पावन करण, परमातम परधान, केवलज्ञान पूजा करी, पामो केवलज्ञान. ॐ ह्रीँ श्री केवलज्ञानाय नमो नमः । इच्छामि खमा० ___ (ज्ञान के उत्कृष्ट ५१-खमासमणे देते यही दोहे बोले) अर्थात् : १) मतिज्ञान के २८ भेद होने से २८ खमा० २) श्रुतज्ञान के १४ भेद होने से १४ खमा० ३) अवधिज्ञान के ६ भेद होने से ६ खमा० ४) मनःपर्यवज्ञान के २ भेद होने से २ खमा० ५) केवलज्ञान के १ भेद होने से १ खमा० कुल मिलाकर ज्ञान के ५१ भेद होने से ५१ खमा० देने चाहिए...

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